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उत्तर कोरिया ने चीन सीमा से 27 किमी दूर सिनपुंग-डोंग मिसाइल अड्डा स्थापित किया : रिपोर्ट

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन। फोटो-फाइल

वाशिंगटन, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर कोरिया ने चीन सीमा से 27 किलोमीटर (लगभग 17 मील) की दूरी पर सिनपुंग-डोंग मिसाइल अड्डा स्थापित किया है। उत्तर कोरिया की इस सामरिक तैयारी की किसी को भनक तक नहीं लगी। इससे पूर्वी एशिया और अमेरिका के अधिकांश हिस्सों को संभावित परमाणु खतरा पैदा हो सकता है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।

सीएनएन न्यूज चैनल की खबर के अनुसार वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिनपुंग-डोंग मिसाइल अड्डे में नौ परमाणु-सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) के साथ-साथ उनके मोबाइल लॉन्चर भी रखे जा सकते हैं। उपग्रह चित्रों के विश्लेषण, उत्तर कोरियाई शरणार्थियों, अधिकारियों के साक्षात्कारों, गोपनीय दस्तावेज़ और खुले स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सिनपुंग-डोंग मिसाइल अड्डा उन अनुमानित 15 से 20 बैलिस्टिक मिसाइल ठिकानों और हथियार भंडारण सुविधाओं में से एक है, जिनकी उत्तर कोरिया ने कभी घोषणा नहीं की है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, ये मिसाइलें पूर्वी एशिया और महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए संभावित परमाणु खतरा पैदा करती हैं।

उत्तर कोरिया ने अपने सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में अपने हथियार कार्यक्रम को तेजी से बढ़ाया है। अपने सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण किया है। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। यह मिसाइलें संयुक्त राज्य अमेरिका में कहीं भी पहुंच सकती हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ये कदम संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन हैं। उत्तर कोरिया ने यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के बाद से रूस के साथ सहयोग बढ़ाया है। अग्रिम मोर्चे पर अपने सैनिक भेजे हैं। इससे यह आशंका बढ़ गई है कि बदले में मॉस्को प्योंगयांग की सैन्य तकनीकी मदद कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गुप्त अड्डा उत्तर कोरिया के अपने परमाणु कार्यक्रम को बढ़ावा देने के प्रयास का हिस्सा है। यह बेस एक संकरी पहाड़ी घाटी में स्थित है। यहां एक जलधारा दो भागों में विभाजित होती है। इसका क्षेत्रफल 22 वर्ग किलोमीटर (लगभग 5,436 एकड़) है। यह न्यूयॉर्क के जॉन एफ. कैनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भी बड़ा है।

सियोल स्थित इवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लीफ-एरिक इस्ले ने कहा, चीन के इतने करीब बेस बनाकर उत्तर कोरिया हमले को रोकने के लिए बीजिंग की प्रतिक्रिया के राजनीतिक जोखिम और अनिश्चितता का भी फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई नीति-निर्माता पहले से ही जानते हैं कि प्योंगयांग निरस्त्रीकरण कूटनीति में इन क्षमताओं को छोड़ने को तैयार नहीं है।

उपग्रह चित्रों के अनुसार इस अड्डे का निर्माण 2004 में शुरू हुआ था। यह 2014 से सक्रिय हो गया है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि यह उत्तर कोरिया के परमाणु-सक्षम ह्वासोंग-15 या ह्वासोंग-18 आईसीबीएमएस, या किसी अन्य प्रकार के आईसीबीएम से लैस है। हालांकि इसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। इस बेस पर ट्रांसपोर्टर लांचर या मोबाइल लांचर भी मौजूद हो सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार ऐसा माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास 40 से 50 परमाणु हथियार हैं। किम ने हाल के वर्षों में देश के परमाणु कार्यक्रम को बढ़ाने की कसम खाई है और हमले की स्थिति में दक्षिण कोरिया को नष्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल करने की धमकी दी है।

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(Udaipur Kiran) / मुकुंद

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