Uttar Pradesh

उत्तर और दक्षिण की सभ्यता एक, अभिव्यक्त करने का अंदाज अलग: प्रो. रचना विमल

दक्षिण के छात्रों संग बुन्देलखंड विश्वविद्यालय के शिक्षक

गैर हिंदी भाषी छात्रों की अध्ययन यात्रा का हुआ समापन

अंतिम दिन विद्यार्थियों ने किया ओरछा भ्रमण

झांसी, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार तथा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा संचालित तीन दिवसीय छात्र अध्ययन यात्रा का समापन हो गया। यह यात्रा अंतिम दिन रामराजा सरकार की नगरी ओरछा पहुंची। गैर हिंदी भाषी राज्यों के विद्यार्थियों को रामराजा सरकार के मंदिर, केशव महल, ओरछा किला और चंद्रशेखर आजाद स्मृति स्थल का भ्रमण कराया गया।

छात्र अध्ययन यात्रा का समापन कार्यक्रम मंडलायुक्त सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही आकांक्षा समिति की मंडल की अध्यक्ष प्रो. रचना विमल ने कहा कि भाषा जोड़ने का काम करती है। उत्तर और दक्षिण की सभ्यता और विचार एक है। बस उसे प्रस्तुत करने का अंदाज अलग होता है। इस यात्रा से दक्षिण भारत की विद्यार्थियों ने तो बुंदेलखंड के बारे में समझा ही होगा। लेकिन, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भी दक्षिण भारत की सभ्यता को समझने का मौका मिला है।

मुख्य अतिथि वामा सारथी की झांसी रेंज की अध्यक्ष प्राची शांडिल्य ने कहा कि बुंदेलखंड बेहद समृद्ध स्थान है। इसका प्रचार प्रसार अवश्य होना चाहिए। इस प्रकार की अध्ययन यात्राओं से विद्यार्थियों को एक दूसरे की संस्कृति और सभ्यता के बारे में समझने का अवसर मिलता है। ऐसी यात्राएं अवश्य होती रहनी चाहिए।

स्वागत उद्बोधन प्रोफेसर मुन्ना तिवारी द्वारा दिया गया। दक्षिण भारत से आए विद्यार्थियों ने भी अपना अनुभव साझा किया। निदेशालय से आई डॉ. किरण झा ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। आभार डॉ श्रीहरि त्रिपाठी द्वारा ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन शाश्वत सिंह ने किया। इस अवसर पर नवीन चंद्र पटेल, डॉ. बी बी त्रिपाठी, डॉ. प्रेमलता श्रीवास्तव, डॉ. आशीष दीक्षित, रिचा सेंगर, डॉ. पुनीत श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया

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