HEADLINES

निर्धारित सेवा पूरी न करने के कारण ग्रेच्युटी पाने का अधिकार नहीं

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

–प्रधानाध्यापिका की मौत के बाद मां की बकाया ग्रेच्युटी की मांग में बेटे की याचिका खारिज

प्रयागराज, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नौ माह 11 दिन की सेवा के बाद 60 साल की आयु में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली सीनियर बेसिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका को ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं माना और कहा कि 3 फरवरी 23 के शासनादेश से दस साल की सेवा जरूरी है।

कोर्ट ने अपनी मां की ग्रेच्युटी की मांग में दाखिल बेटे की याचिका को खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने मिर्जा इमरान बेग की याचिका पर दिया है। याचिका में बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा द्वारा मां की बकाया ग्रेच्युटी भुगतान करने से इंकार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि उसकी मां ने 60 साल की आयु में स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति की मांग की। जिसे स्वीकार करते हुए उसे 31 मार्च 19 को सेवानिवृत्त कर दिया गया। इसके बाद याची की मां की 23 अप्रैल 19 को मौत हो गई। याची के पिता को ग्रेच्युटी व फेमिली पेंशन के अलावा सभी देयों का भुगतान कर दिया गया।

1 अक्टूबर 21 को याची के पिता की भी मौत हो गई। याची की मृतक आश्रित कोटे में चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति की गई। इसके बाद उसने मां की बकाया ग्रेच्युटी की मांग में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने चार हफ्ते में बीएसए एटा को निर्णय लेने का आदेश दिया। बीएसए ने शासनादेश के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का हकदार न पाते हुए अर्जी खारिज कर दी। जिसे चुनौती दी गई थी।

बीएसए के अधिवक्ता का कहना था कि याची की मां की सेवा नियत अर्हता के अधीन नहीं थी। इसलिए वह ग्रेच्युटी पाने की हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया है।

—————

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

Most Popular

To Top