
सचिन बुधौलिया
नई दिल्ली, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । पाकिस्तान से बलोचिस्तान की आज़ादी की जद्दोजहद कर रहे बलोचिस्तान मुक्ति आंदोलन ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एक स्वतंत्र देश के रूप में अपने स्वरूप, शासन प्रणाली एवं सामाजिक व्यवस्था को लेकर पूरी योजना तैयार कर ली है और वैश्विक शक्तियों को संदेश दिया है कि वे बलोचिस्तान के संसाधनों को साझा करने के लिए पाकिस्तान का रास्ता अख्तियार नहीं करें।
फ्री बलोचिस्तान मूवमेंट के कार्यकर्ता मीर यार बलोच ने (Udaipur Kiran) के साथ वर्चुअल बातचीत में बलोचिस्तान की स्वतंत्रता का घोषणापत्र एवं संविधान के खाका को भी साझा किया। इसमें कहा गया है कि बलोचिस्तान एक सेकुलर देश होगा जिसमें मजहब या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा और हर नागरिक को स्वेच्छा से किसी भी धर्म या मजहब का पालन करने का अधिकार होगा। सभी नागरिकों को समान अधिकार होंगे। दस्तावेज़ में कहा गया है कि देश की शासन प्रणाली लोकतांत्रिक होगी और बलोचिस्तान की राष्ट्रीय सेना का काम केवल देश की सीमाओं की रक्षा करना होगा और सेना में सेवारत हर अधिकारी या सैनिक के लिए किसी भी व्यावसायिक गतिविधि में भाग लेना वर्जित होगा। मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (मेमरी) में बलोचिस्तान स्टडीज़ प्रोजेक्ट के सलाहकार मीर यार बलोच के अनुसार बलोचिस्तान का सपना हकीकत से बहुत दूर नहीं है। बलोचिस्तान लिबरेशन चार्टर में जिस स्वतंत्र बलोचिस्तान का मानचित्र साझा किया गया है, उसमें ईरान का आधा भाग और अफगानिस्तान का थोड़ा सा दक्षिणी भाग भी शामिल है। इस बारे में पूछे जाने पर मीर यार बलोच ने दिलचस्प जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ईरान के अंदर भी बलोचिस्तान की आज़ादी को लेकर ज़ाहेदान के बलोच मौलवी अब्दुल हमीद की अगुवाई में आंदोलन चल रहा है लेकिन वहां ये आंदोलन एवं प्रदर्शन शांतिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ईरान के बलोचों का मज़हब के प्रति ज़्यादा झुकाव था लेकिन अब उनमें राष्ट्रवादी विचार ज़ोर पकड़ रहे हैं। ईरान की आबादी के वितरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ईरान की 50 फीसदी जनसंख्या गैर फारसी है। ईरान में बलोचों के अलावा कुर्द, अल-अहवाज़, लुर, तुर्मेन और अज़ारी समुदाय गैर फारसी हैं और इनका फारसी समुदाय के सर्वोच्च नेता अली खामनेई के नेतृत्व से विरोध है। मीर यार बलोच के अनुसार ईरान के अधिकार वाले बलोचिस्तान का इलाका बंदर अब्बास और होरमुज की खाड़ी तक है। यदि इसे ईरान से आज़ाद करा लिया जाये तो फारस की खाड़ी चीनी आक्रमण के खतरे से मुक्त हो जाएगी। वैश्विक ताकतों को ईरान में सत्ता परिवर्तन के बाद गृह युद्ध भड़कने की आशंका है लेकिन बलोचों की योजना से चला जाये तो ये सब शांतिपूर्ण ढंग से हो सकता है। उन्होंने इस योजना का खुलासा करते हुए कहा कि ईरान में यदि खामनेई को बेदखल करने के बाद बलोचिस्तान को मुक्त करने के साथ ही कुर्द, अल-अहवाज़, लुर, तुर्मेन और अज़ारी समुदायों को उनके प्रभाव वाले इलाकों में शासन सौंप दिया जाए तो ईरान में गृह युद्ध होने की आशंका समाप्त हो जाएगी। इसके बाद तेहरान में एक मिलीजुली सरकार कायम हो सकती है। ईरान में बलोचिस्तान के क्षेत्र में प्रमुख नगर ज़ाहेदान, बाम, ज़िरोफ्त, ईरानशहर, मिनाब और चाबहार हैं जहां भारत सरकार एक बंदरगाह एवं अन्य विकास परियोजनाओं को लेकर ईरान के साथ मिल कर काम कर रही है। अफगानिस्तान के साथ बलोचिस्तान के साथ इलाकों को लेकर विवाद के बारे में पूछे जाने पर मीर यार बलोच ने बताया कि दक्षिणी अफगानिस्तान में हेलमंद, निमरोज़, फराह और कंधार के दक्षिण में रेगिस्तानी इलाके बलोच समुदाय बहुल हैं जबकि बलोचिस्तान में चमन, किला अब्दुल्ला, किला सैफुल्लाह, कुचला एवं झोब पश्तून बहुल हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान के साथ यह आम सहमति है कि हम इन इलाकों की आपस में अदला बदली कर लेंगे। इसमें कहीं कोई भी असहमति या विवाद नहीं है क्योंकि पश्तून एवं बलोच अंग्रेज़ों द्वारा खींची गयी डूरंड लाइन सीमा को स्वीकार नहीं करते हैं। पाकिस्तान के भीतर बलोचिस्तान के क्षेत्र को लेकर धारणाओं को दुरुस्त करते हुए मीर यार बलोच ने बताया कि आमतौर पर बलोचिस्तान को पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत माना जाता है लेकिन पंजाब प्रांत के डेरागाज़ी खान, राजनपुर और तोंसा जिले बलोच बहुल हैं और इन्हें हम बलोचिस्तान का भाग मानते हैं। इसके अलावा सिंध में कराची का आधा भाग जिसे माई कलाची कहते हैं और ल्यारी भी बलोच बहुल हैं। इस प्रकार से पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का करीब 64 प्रतिशत भाग बलोचिस्तान है। बलोचिस्तान के मौजूदा शासन के बारे में मीर यार बलोच ने कहा कि बलोचों के विद्रोह के बाद पाकिस्तानी अधिकारी इस प्रांत में एक तरह से निष्क्रिय हो चुके हैं। चीन का प्रशासन में बहुत ज़्यादा दखल है। कराची से ग्वादर बंदरगाह तक सड़क पर लगे सूचनापट उर्दू के अलावा चीन की मंदारिन भाषा में हैं। चीनी खुफिया एजेंसियां पाकिस्तानियों को आगे करके शासन की बागडोर नियंत्रित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि चीन का बलोचिस्तान में दखल एवं हित ग्वादर बंदरगाह के रास्ते तेल आपूर्ति का सुगम रास्ता सुनिश्चित करने के साथ ही बलोचिस्तान में खनिज संपदा से भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि बलोचिस्तान को ‘म्यूज़ियम ऑफ मिनिरल्स’ कहा जाता है जहां तेल एवं प्राकृतिक गैस के अलावा साठ लाख टन स्वर्ण के भंडार तथा भारी मात्रा में लीथियम, यूरेनियम, तांबा, मैग्नीशियम आदि बहुमूल्य खनिज मौजूद हैं। बलोचिस्तान में प्रतिदिन 33.4 करोड़ घनफुट गैस निकाली जा रही है जिससे पाकिस्तान को 42 अरब रुपये की कमाई हो रही है। बलोचिस्तान के आज़ादी के आंदोलन के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय पाकिस्तानी शासन में सेना एवं लेवी यानी राजस्व विभाग के कर्मचारियों में ही कुछ भाग पाकिस्तानी पंजाबी या अन्य प्रांतों के लोग हैं। बलोच आंदोलन के सशस्त्र संगठन बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बहुत बड़े भाग पर नियंत्रण कायम कर लिया है। पाकिस्तानी सेना का मनोबल बुरी तरह से टूट चुका है और सेना एवं लेवी के अधिकारी कर्मचारी बीएलए के रहमोकरम पर ही ज़िंदा हैं। अब तक 800 सैनिक बीएलए के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं। पुलिस एवं स्थानीय प्रशासन में बलोचों का दबदबा है और वे भी परोक्ष रूप से आंदोलनकारियों के साथ ही हैं। बीएलए भी सिर्फ उन्हीं लोगों को निशाना बना रही है जो बलोच विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाते हैं। बलोचिस्तान में हिन्दुओं एवं अन्य गैर मुस्लिम समुदायों के साथ व्यवहार के बारे में बात करने पर मीर यार बलोच ने कहा कि बलोचिस्तान सदियों से हिंगलाज भवानी का स्थान रहा है और आज भी बलोची समुदाय अपने को मां हिंगलाज की संतान मानता है। उन्होंने कहा, हम माता हिंगलाज के मंदिर को नानी मंदिर कहते हैं। वहां किसी से जाति या मज़हब पूछा नहीं जाता है। सब मां से मन्नत मांगने जाते हैं और मां सबकी मन्नत पूरी करती है। लोगों को संतान, सुख, समृद्धि मिलती है। उन्होंने कहा, बलोचिस्तान में हम हिन्दुओं के रक्षक हैं। यदि एक हिन्दू का नुकसान हुआ तो उनकी ओर से हम दोगुना बदला लेते हैं। बीएलए ने साफ तौर पर एलान किया है कि जो भी शख्स हिन्दू को निशाना बनाएगा वो बलोचों का दुश्मन माना जाएगा। उन्होंने कहा कि ना सिर्फ हिंगलाज भवानी का मंदिर बल्कि बलोचिस्तान में मौजूद 50 से अधिक मंदिरों की रक्षा एवं देखरेख हमारी जिम्मेदारी है। भारत से बलोच आंदोलन कारियों को अपेक्षा एवं बलोचिस्तान के मुक्ति संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय समर्थन के मुद्दे पर चर्चा करने पर मीर यार बलोच कहते हैं कि इस आंदोलन को भारत सहित किसी भी बाहरी देश का सहयोग नहीं मिल रहा है। सारा संघर्ष बलोच अपनी ताकत के बल पर कर रहे हैं। उन्होंने इस आंदोलन के रणनीतिक महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि एक पूर्ण स्वतंत्र एवं संप्रभु बलोचिस्तान अस्तित्व में आता है तो सबसे बड़ी बात यह होगी कि चीन का अरब सागर या होरमुज की खाड़ी से संपर्क पूर्णत: समाप्त हो जाएगा यानी चीन की तेल आपूर्ति की शृंखला टूट जाएगी। ईरान में होने वाले बदलाव के बाद इज़रायल भी चैन की सांस ले सकेगा। पाकिस्तान के भूभाग के नुकसान के साथ ही आय के स्रोत भी समाप्त हो जाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बलोचों का यहूदियों से कोई बैर नहीं है। हमारे इज़रायलियों से भी अच्छे ताल्लुकात हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पाकिस्तान के साथ तेल उत्खनन एवं विपणन संबंधी समझौते की घोषणा किये जाने के बारे में पूछे जाने पर मीर यार बलोच ने उनके संगठन के नेता हिरबीयेर मार्री के हाल ही दिये गये बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को स्पष्ट शब्दों में आगाह किया है कि पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने उन्हें गुमराह किया है। जिस तेल, प्राकृतिक गैस, तांबा, लिथियम, यूरेनियम और दुर्लभ मृदा खनिजों के इन भंडारों को लेकर समझाैते की बात की जा रही है, वे वास्तविक पाकिस्तान के नहीं बल्कि बलूचिस्तान गणराज्य के हैं, जो ऐतिहासिक रूप से एक संप्रभु राष्ट्र है और वर्तमान में पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा ऐसा कोई भी समझौता करके पाकिस्तान की कट्टरपंथी सेना, अल-कायदा और अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारों अमेरिकी सैनिकों की मौत के लिए ज़िम्मेदार विभिन्न छद्म समूहों को प्रायोजित करने के लिए कुख्यात एवं दुष्ट आईएसआई को खरबों डॉलर के खनिज भंडार का दोहन करने की अनुमति देना एक गंभीर रणनीतिक भूल होगी। फ्री बलोचिस्तान मूवमेंट के नेता ने अमेरिकी राष्ट्रपति को एक्स पर एक पोस्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि इस समझौते से आईएसआई को वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क का विस्तार करने की आर्थिक ताकत मिलेगी और इसका इस्तेमाल भारत-विरोधी और इज़रायल-विरोधी जिहादी गुटों को मज़बूत करने में किया जाएगा जिससे दक्षिण एशिया और व्यापक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और भी अस्थिर हो जाएगी। हिरबीयेर मार्री ने दो टूक शब्दों में कहा, पाकिस्तान द्वारा बलोचिस्तान का शोषण रोकना केवल बलोच लोगों के लिए न्याय का मामला नहीं है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा का भी मामला है। इसमें कोई संदेह नहीं है। बलोचिस्तान बिकाऊ नहीं है। हम बलोच लोगों की स्पष्ट सहमति के बिना पाकिस्तान, चीन या किसी भी अन्य विदेशी शक्ति को अपनी भूमि या उसके संसाधनों का दोहन करने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा, हमारी संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता और उचित स्वामित्व एवं स्वतंत्रता के लिए हमारा संघर्ष गरिमा और दृढ़ता के साथ जारी रहेगा। हम अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे इन सच्चाइयों को पहचानें और बलूच लोगों की स्वतंत्रता और अपनी मातृभूमि तथा प्राकृतिक संपदा पर नियंत्रण की वैध आकांक्षाओं का समर्थन करें। मीर यार बलोच ने आशा जताई कि अमेरिकी नेतृत्व और अन्य वैश्विक शक्तियां इस खतरे को पहचानेंगीं और दुनिया को आतंकवादी खतरे से स्थायी रूप से बचाने के लिए बलोचिस्तान की आज़ादी की महत्ता को स्वीकार करेंगीं।
—————
(Udaipur Kiran)
