शिमला, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की प्रधान पीठ नई दिल्ली ने 15 अक्टूबर को काला अंब औद्योगिक क्षेत्र और मारकंडा नदी में प्रदूषण को लेकर चल रहे दो मामलों की सुनवाई की। ये मामले औद्योगिक अपशिष्ट, अनुपचारित सीवेज और नदी क्षेत्र में अतिक्रमण से संबंधित हैं, जो हिमाचल प्रदेश और हरियाणा राज्यों को प्रभावित कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने पाया कि हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला मजिस्ट्रेट सिरमौर और काला अंब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टें अधूरी और आवश्यक जानकारी से रहित थीं। इस पर अधिकरण ने नाराज़गी जताते हुए सभी संबंधित पक्षों को विस्तृत और तथ्यात्मक रिपोर्टें प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह मारकंडा नदी में गिरने वाले सभी नालों की संख्या, उनकी टैपिंग की स्थिति, काला अंब क्षेत्र की सभी औद्योगिक इकाइयों की सूची, CETP से जुड़ी और न जुड़ी इकाइयों की संख्या, ZLD श्रेणी की इकाइयों की जानकारी और सभी डिस्चार्ज पॉइंट्स से जल नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
वहीं, काला अंब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी से सभी पंजीकृत इकाइयों की सूची, अपशिष्ट जल के CETP तक पहुंचाने की प्रक्रिया, रासायनिक उपयोग व बिजली खपत का विवरण और डिस्चार्ज पॉइंट से जल नमूना परीक्षण रिपोर्ट मांगी गई है। जिला मजिस्ट्रेट सिरमौर को मारकंडा नदी के बहाव क्षेत्र का राजस्व विवरण और संबंधित तहसीलदार की निरीक्षण रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।
इसके अलावा, हिमाचल और हरियाणा दोनों राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी डिस्चार्ज पॉइंट्स से संयुक्त रूप से जल नमूने एकत्र कर जांच करें और यदि प्रदूषण मानकों का उल्लंघन हो रहा हो, तो उसका कारण और उठाए गए सुधारात्मक कदमों की जानकारी दें। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
