Chhattisgarh

कम पानी में अधिक उपज देने वाली धान की नई किस्में एमटीयू 1156 और 1153 किसानों के लिए बनी वरदान

ग्राम खपरी के खेत में खड़े हुए किसान।

धमतरी, 9 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण और रत्नगर्भा कहलाने वाला जिला धमतरी अपनी उपजाऊ भूमि और मेहनतकश किसानों के कारण ‘धनहा धमतरी’ के नाम से प्रसिद्ध है। यहां खरीफ और रबी दोनों मौसमों में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। हालांकि धान एक जल-प्रधान फसल है, इसलिए भूमिगत जल स्रोतों के संरक्षण को देखते हुए अब वैज्ञानिकों ने कम जल खपत वाली नई धान की किस्में विकसित की हैं।

इसी क्रम में धमतरी जिले में एमटीयू श्रृंखला की दो नई किस्में — एमटीयू 1153 (चन्द्रा) और एमटीयू 1156 (तरंगिनी) किसानों को प्रदर्शन फसल के रूप में उपलब्ध कराई गई हैं।

एमटीयू 1153 (चन्द्रा)

एमटीयू 1153 किस्म को वर्ष 2015 में विकसित किया गया। यह मध्यम अवधि की किस्म है, जो लगभग 115 से 120 दिनों में तैयार होती है। इसकी पौध की ऊंचाई कम और तना मजबूत होता है, जिससे फसल गिरने की संभावना नगण्य रहती है।

इस किस्म में दो सप्ताह की सुसुप्ता अवस्था (डॉर्मेंसी) का गुण पाया जाता है, जो जल अंकुरण की समस्या से बचाव करता है। यह ब्लास्ट और भूरा माहू जैसी प्रमुख बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है। अनुकूल परिस्थितियों में इसकी औसत उपज 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पाई जाती है।

एमटीयू 1156 (तरंगिनी)

एमटीयू 1156 किस्म को वर्ष 2015 में राइस रिसर्च स्टेशन, मरूतेरू द्वारा विकसित किया गया। यह भी मध्यम अवधि की उच्च उत्पादक किस्म है, जो 115 से 120 दिनों में पक जाती है।

इसके दाने लंबे, पतले और उच्च प्रसंस्करण गुणवत्ता वाले होते हैं, जिससे टूटने की संभावना कम रहती है। यह किस्म भी ब्लास्ट एवं भूरा माहू रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। औसत उपज 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है।

विक्रम टीसीआर – उच्च उपज की नई दिशा

विक्रम टीसीआर किस्म भी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। इसकी उत्पादन क्षमता 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म 125 से 130 दिनों में तैयार होती है, कम पानी की आवश्यकता होती है और कीट-व्याधियों के प्रति प्रतिरोधी है।

विकासखण्ड धमतरी के ग्राम झिरिया में कृषक धमेन्द्र कुमार चन्द्राकर के खेत में एमटीयू 1156 किस्म का प्रदर्शन प्लॉट तैयार किया गया। उप संचालक कृषि ने निरीक्षण कर कृषकों को आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया।

कृषक चन्द्राकर ने बताया कि “इस किस्म की खेती आसान है, कीट-व्याधि का प्रकोप कम होता है और लागत भी घटती है। प्रति एकड़ लगभग 28 से 30 क्विंटल उपज की संभावना है।

नई किस्मों की इन विशेषताओं के कारण धमतरी जिले में किसानों का रुझान तेजी से एमटीयू 1153, एमटीयू 1156 और विक्रम टीसीआर जैसी कम जल खपत वाली उच्च उत्पादक धान प्रजातियों की ओर बढ़ रहा है जो भविष्य में जल संरक्षण के साथ अधिक उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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