Uttar Pradesh

नई जीएसटी सुधार व्यवस्था सरलता और आमजन के हित में ऐतिहासिक पहल

प्रयागराज के आर्य कन्या डिग्री कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष का छाया चित्र

प्रयागराज, 04 सितंबर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिस नई पीढ़ी के जीएसटी सुधारों का खाका प्रस्तुत किया था, उसका ठोस और व्यापक स्वरूप अब 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में सामने आया है। यह केवल कर दरों में फेरबदल नहीं, बल्कि भारत की कर प्रणाली को नागरिक-केंद्रित, पारदर्शी और विकासोन्मुख बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह बात गुरुवार को प्रयागराज के आर्य कन्या डिग्री कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमित पाण्डेय ने कही।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कर ढांचे में सरलता के साथ साथ आम जनता को भी राहत देने का बेहतर रास्ता निकाला है। अब तक जीएसटी की पांच दरें 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत—व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए भ्रम का कारण रही थीं। नई व्यवस्था में 12 प्रतिशत और 28 फीसदी स्लैब हटाकर ढांचा केवल अब दो दरों तक सीमित किया गया है। 5 प्रतिशत (आवश्यक वस्तुएं) और 18 फीसदी (मानक दर), स्वास्थ्य-हानिकारक वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत का विशेष स्लैब रखा गया है। यह न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा बल्कि भ्रष्टाचार और विवादों की गुंजाइश को भी कम करेगा।

आम जनता को सीधी राहत

इस सुधार का सबसे बड़ा लाभ सीधे गरीब और मध्यम वर्ग को मिलने वाला है। जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। दूध, पनीर, रोटियां, पास्ता, चॉकलेट, कॉफ़ी जैसी रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी। छोटे वाहनों, मोटरसाइकिलों, सीमेंट, टीवी और एसी पर कर दरों में कमी से महंगाई का बोझ हल्का होगा।

किसान और श्रमिक वर्ग को संबल

डॉ अमित पाण्डेय ने कहा कि कृषि मशीनरी, उर्वरक और श्रम-प्रधान उद्योगों पर दरें घटाकर सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि किसानों और कारीगरों का हित सर्वोपरि है। खेती की लागत कम होगी, उत्पादन बढ़ेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। साथ ही, टेक्सटाइल और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को राहत देकर रोजगार सृजन के नए अवसर खोले गए हैं।

स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय

33 जीवनरक्षक दवाओं को शून्य दर पर लाना और अन्य दवाओं को 5 प्रतिशत पर सीमित करना वास्तव में स्वास्थ्य के प्रति सरकार की गंभीरता का परिचायक है। कैंसर और दुर्लभ बीमारियों की महंगी दवाएं अब अधिक सुलभ होंगी। मेडिकल उपकरणों और उपभोग्य सामग्रियों पर टैक्स घटाना भी आम आदमी के लिए चिकित्सा खर्च कम करेगा।

उद्योग और व्यापार को गति

ऑटोमोबाइल और निर्माण क्षेत्र पर दरें घटाने से उद्योग जगत को नई ऊर्जा मिलेगी। होटल, पर्यटन और सेवा क्षेत्र में कर राहत से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और मध्यम वर्ग की जेब पर बोझ घटेगा। साथ ही, जीएसटी अपीलीय अधिकरण की स्थापना से वर्षों से लंबित विवादों का त्वरित समाधान संभव होगा।

डॉ अमित पाण्डेय ने बताया कि इन सुधारों का मूल्यांकन करते हुए यह कहना उचित होगा कि जीएसटी अब अपने प्रारंभिक जटिल स्वरूप से निकलकर “सरल, पारदर्शी और समाजहितकारी” रूप की ओर बढ़ रहा है।

राजस्व के संतुलन और राज्यों की हिस्सेदारी पर मतभेद आगे भी बने रह सकते हैं, किंतु यदि यह पहल संतुलित दृष्टिकोण से आगे बढ़ाई गई तो यह सुधार भारत को अगले दशक में नई आर्थिक ऊंचाइयों तक ले जाने का आधार बनेगा। निस्संदेह, यह सुधार भारत की कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित बनाते हुए “विकसित भारत 2047” के संकल्प को ठोस आधार देंगे।

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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल

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