Jharkhand

पर्यावरण और खनन में समन्वय बनाने की जरूरत : सरयू राय

कार्यशाला में सरयू राय समेत अन्य

रांची, 22 जून (Udaipur Kiran) । सारंडा बचाओ अभियान, नेचर फाउंडेशन और युगांतर भारती के संयुक्त तत्वावधान में प्रेस क्लब रांची में सेमिनार का आयोजन हुआ। जहां कई पर्यावरणविद बुद्धिजीवियों ने सकारात्मक विचार व्यक्त किए।

मौके पर बतौर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) डा. एस. एन. पाठक ने कहा कि सारंडा जंगल जिसे कभी 700 पहाड़ियों की भूमि के रूप में जाना जाता था, जो हरे स्टील के रूप में जाने जाने वाले ऊंचे शाल के पेड़ों और मजबूत आदिवासी समुदायों से भरा हुआ था। लेकिन हाल के दिनों में लगातार खनन, वनों की कटाई, विस्थापन और कभी-कभी सिर्फ उदासीनता के कारण नुकसान पहुंचाया गया। इसलिए सारंडा को संरक्षित करना केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, यह केवल झारखंड के बारे में नहीं है, यह एक राष्ट्र के रूप में हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

मौके पर विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार के सभी विभागों के सचिव अपने-अपने विभागों के हित देखते हैं। जहां इंटीग्रल सोच की जरूरत होनी चाहिए, वहां डिफरेंट थॉट काम करता है। कोई इंटीग्रल सोच का ध्यान नहीं रखता। यह चिंता का विषय है। सभी विभागों के हित एक-दूसरे के हितकारी नहीं होते। उन्होंने कहा कि सारंडा के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रुप से राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि कंप्लायंस करके 23 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट दे दें। हमें लगता है कि झारखंड सरकार के अफसर ऐसा ही करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्र के हित में और अधिक खनन जरूरी होगा तो राज्य सरकार अदालत में अपनी बातों को तार्किक तरीके से रखेगी। उन्हें पक्का यकीन है कि न्यायालय उन्हें खनन के लिए जरूर मौका देगी। राय ने कहा कि माइनिंग करना देश के लिए आवश्यक है, विदेशों के लिए नहीं। विदेशों में बेचे जाने के पहले देश की जरूरतों को भी देखने की जरूरत है। राय ने कहा कि सारंडा की इकोलॉजी सुरक्षित हो, यह जरूरी है। पर्यावरण और खनन विभाग में समन्वय की सबसे अधिक आवश्यकता है।

पूर्व प्रधान वन संरक्षक धीरेंद्र कुमार ने कहा कि सारंडा के परिप्रेक्ष्य में लोगों को रोजगार देकर जोड़ने की जरूरत है।

खनन विभाग के पूर्व उप निदेशक अरुण कुमार ने कहा कि लोगों की यह धारणा बन गई है कि खनन विभाग प्रदूषण फैलाने में सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। यह गलत है। खनन विभाग अब बेहद संजीदा हो गया है।

प्रख्यात पर्यावरणविद प्रो. डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि सारंडा 700 पहाड़ों का समूह है जहां अवैध खनन और गलत तरीके से वृक्षों की लगातार कटाई हो रही है। इसी कारण सारंडा बर्बाद हो रहा है।

इस अवसर पर पूर्व प्रधान वन संरक्षक लाल रत्नाकर सिंह, पूर्व प्रधान वन संरक्षक एचएस गुप्ता, खनन विभाग के उप निदेशक संजीव कुमार सहित अन्य लोगों ने विचार प्रकट किए।

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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar

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