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आयुर्वेद में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के प्रयास निरंतर जारी रखने की आवश्यकताः प्रतापराव जाधव

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) द्वारा सुश्रुत जयंती के मौके पर  13 से 15 जुलाई तक आयोजित शल्य तंत्र पर तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव

नई दिल्ली, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । केंद्रीय आयुष मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव गणपतराव जाधव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप आयुर्वेद में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसंधान को बढ़ावा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। वैज्ञानिक शोध के माध्यम से हमारी पारंपरिक प्रणालियों की प्रभावकारिता को विश्व स्तर पर स्थापित किया जा सकता है।

जाधव सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) द्वारा सुश्रुत जयंती के मौके पर 13 से 15 जुलाई तक आयोजित शल्य तंत्र पर तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। शल्य चिकित्सा 2025 के उद्घाटन समारोह के मौके पर राज्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पहले ही आयुर्वेदिक चिकित्सकों को 39 शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं और 19 अतिरिक्त ऑपरेशन करने के लिए अधिकृत किया है, जिससे स्वास्थ्य सेवा के प्रति एकीकृत दृष्टिकोण को बल मिलता है। इसके अतिरिक्त उपचारों की गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए शल्य चिकित्सा प्रोटोकॉल का मानकीकरण आवश्यक है।

कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, उप महानिदेशक सत्यजीत पॉल, राष्ट्रीय सुश्रुत एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. मनोरंजन साहू, एआईआईए निदेशक प्रो. मंजूषा राजगोपाला, डीन प्रो. महेश व्यास, प्रो. योगेश बडवे मौजूद रहे। इस अवसर प्रो. मंजूषा राजगोपाला ने कहा कि यह आयोजन आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा के शास्त्रीय सिद्धांतों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणालियों के साथ एकीकृत करने के एआईआईए के मिशन को दर्शाता है। शल्यकॉन 2025 युवा आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सकों को उभरती हुई शल्य चिकित्सा पद्धतियों का अवलोकन करने और उनसे जुड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।

आयोजन अध्यक्ष डॉ. योगेश बडवे ने बताया कि एआईआईए अब प्रतिदिन 2000 से अधिक रोगियों की सेवा करता है। इसके साथ शल्य तंत्र विभाग नियमित रूप से सामान्य, लेप्रोस्कोपिक, स्तन, एनोरेक्टल और मूत्र संबंधी सर्जरी करता है। ये प्रगति रोगी-केंद्रित एकीकृत देखभाल प्रदान करने में आयुर्वेद की प्रासंगिकता को रेखांकित करती है।

उन्होंने कहा कि नवाचार, एकीकरण और प्रेरणा विषय के साथ, शल्यकॉन 2025 आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धति में अनुसंधान, सहयोग और ज्ञान-साझाकरण को गति प्रदान करेगा, जिससे एकीकृत स्वास्थ्य सेवा में भारत के नेतृत्व को बल मिलेगा।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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