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शहरी निकाय के चुनाव टालना उचित नहीं, चुनाव कराने के लिए उठाए जरूरी कदम-हाईकोर्ट

हाईकाेर्ट

जयपुर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान के बावजूद राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने नगर पालिकाओं के चुनाव कराने के लिए निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया है। याचिकाकर्ताओं का कार्यकाल गत जनवरी माह में पूरा हो चुका है। ऐसे में एसडीओ को प्रशासक लगाया गया, लेकिन यह व्यवस्था केवल छह माह के लिए ही हो सकती है। लंबे समय तक चुनाव नहीं होने से स्थानीय स्तर पर शासन शून्यता पैदा हो सकती है, जिससे शहरी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर गतिविधियां प्रभावित होगी। नगर पालिकाओं के चुनाव में अनुचित देरी की स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग के लिए जरूरी हो जाता है कि वह मामले में हस्तक्षेप करे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए जरूरी उपाय करे। इसके साथ ही अदालत ने उचित कार्रवाई के लिए आदेश का कॉपी मुख्य सचिव, राज्य भारतीय निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी है। वहीं अदालत ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश उर्मिला अग्रवाल व अन्य की याचिकाओं पर दिए।

याचिकाओं में अधिवक्ता जीएस गौतम सहित अन्य वकीलों ने कहा कि याचिकाकर्ता जनवरी, 2020 में अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में सरपंच बने थे। वहीं जून, 2021 में स्वायत्त शासन विभाग ने कुछ ग्राम पंचायतों को शहरी निकाय में शामिल कर लिया और चुने हुए याचिकाकर्ताओं को सरपंच और उप सरपंचों को शहरी निकाय में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बना दिया। याचिका में कहा गया कि गत 22 जनवरी को राज्य सरकार ने एक अधिूचना जारी कर कहा कि उनका पांच साल का कार्यपाल पूरा हो गया है और उनके स्थान पर प्रशासनिक अधिकारी को प्रशासक लगा दिया, जबकि कई अन्य ग्राम पंचायतों में कार्यकाल पूरा होने के बाद भी सरपंचों को प्रशासक लगा रखा है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को हटाकर उनके साथ भेदभाव किया गया है। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता अदालत से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए आदेश जारी करने की गुहार कर रहे हैं। जबकि यह आदेश तभी दिया जा सकता है, जब याचिकाकर्ताओं के कानूनी अधिकार की अवहेलना हो। जबकि याचिकाकर्ताओं का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने याचिकाओं को खारिज करते हुए जल्दी चुनाव कराने की मंशा जताई है।

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(Udaipur Kiran)

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