
रांची, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सारंडा में नई सेंचुरी बनाने से पहले सरकार को चाहिए कि वह पूर्व में प्रभावित विस्थापित परिवारों को छह हजार करोड़ रुपए क्षतिपूर्ती के रूप में भुगतान करे। इसके बाद ही सरकार सेंचुरी बनाने की दिशा में कदम उठाए। ऐसा नहीं होने पर सरकार की फजीहत होगी।ये बातें आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही।
विजय शंकर नायक ने कहा कि नई सेंचुरी बनाने का मामला झारखंंड उच्च न्यायालय में जाएगा। इससे सरकार की बदनामी होगी। उन्होंने कहा कि अबतक झारखंंड में बने पूर्व के नौ आश्रायनी में वन्य जीव (सरंक्षण) अधिनियम-1972 के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार की ओर से वर्ष 2003 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शोन एक्ट-1972 में संसोधन किया गया और धारा 18 (2) जोड़ी गई। इसमें अंतिम अधिसूचना धारा 26 के अन्तर्गत प्रकाशित होने तक, प्रभावित विस्थापित परिवारों के मवेशियों के लिए चारा और जलावन सहित अन्य वन आधारित उनके हकों को सरकार ने मुफ्त मुहैया कराने का आदेश शामिल है।
उन्होंने कहा कि आज भी 30 लाख से अधिक लोग उन आश्रयानी वनों पर ही आश्रित हैं। बावजूद इसके वन विभाग ने इसपर कभी ध्यान नहीं दिया है।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar