RAJASTHAN

जवाहर कला केन्द्र :’और करो थिएटर’ के साथ नटराज थियेटर फेस्टिवल का शुभारंभ

जवाहर कला केन्द्र :'और करो थिएटर' के साथ नटराज थियेटर फेस्टिवल का शुभारंभ

जयपुर, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित नटराज महोत्सव का शुक्रवार को भव्य शुभारंभ हुआ। केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा ने नटराज की मूर्ति को पुष्प अर्पित कर और दीप जलाकर महोत्सव का उद्घाटन किया। इस दौरान जेके की वरिष्ठ लेखा अधिकारी बिंदु भोभरिया, कंसल्टेंट प्रोग्रामिंग मैनेजर डॉ. चंद्रदीप हाड़ा अन्य प्रशासनिक अधिकारी, फेस्टिवल क्यूरेटर योगेन्द्र सिंह परमार, निर्देशक और अभिनेता गोपाल दत्त व अन्य कलाकार मौजूद रहे।

महोत्सव के पहले दिन गोपाल दत्त के निर्देशन में ‘और करो थिएटर’ नामक प्रस्तुति हुई। यह प्रस्तुति एक संगीतमयी सफरनामा है। ‘ख़ैर-मक़्दम हाजरीन’ गीत गाते हुए कलाकार मंच पर आते हैं और सभी का अभिवादन करते हैं। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कला प्रेमी गोपाल दत्त और साथी कलाकारों का स्वागत करते हैं। थिएटर प्रस्तुतियों में गाए जाने वाले गीतों को संजोकर गोपाल दत्त ने यह सुरीला गुलदस्ता तैयार किया है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पहली बार यह प्रस्तुति हुई है। दो साल पहले उन्हें यह प्रेरणा मिली कि नाटकों में गाए गए गीतों को संजोया जाए। यह सुरीला ताना बाना ही ‘और करो थिएटर’ के रूप में सामने आया जिसमें गोपाल दत्त ने एनएसडी में पढ़ाई से लेकर अब तक लगभग 15 से 20 साल के दौरान किए गए नाटकों के गीतों को संकलित किया गया।

‘ 30 साल की उम्र हो गई, टूटी-फूटी कमर हो गई, ना नौकरी-ना छोकरी-ना गाड़ी-ना घर, और करो थिएटर’, प्रस्तुति का शीर्षक इसी गीत से लिया गया है जिसमें एक रंगकर्मी की जिंदगी को हास्यात्मक व्यंग्य के रूप में व्यक्त किया गया है। गोपाल दत्त का मानना है कि इन पंक्तियों में ही युवा रंगकर्मियों के लिए सबसे बड़ा संदेश छिपा हुआ है कि रंगकर्म एक साधना है जिसमें मुकाम हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष, त्याग और समर्पण के साथ आगे बढ़ना पड़ता है। जीवन के अलग-अलग रंगों को व्यक्त करने वाले ऐसे ही 8 से 10 गीतों को गोपाल दत्त व साथी कलाकारों ने अपने अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया। साथी कलाकारों में शांतनु हेरलेकर और सिद्धार्थ पडियार शामिल रहे।

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(Udaipur Kiran)

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