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खेल संघों में सुशासन और खिलाड़ियों के कल्याण से जुड़ा राष्ट्रीय खेल विधेयक लोकसभा में पेश

नई दिल्ली, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । सरकार ने खेल संघों के सुशासन और खिलाड़ियों के कल्याण के उद्देश्य से राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 बुधवार को लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक खेल विवादों के समाधान, निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया और राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक व्यवस्था करता है।

युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने शोर-शराबे के बीच विधेयक को पेश किया। विधेयक का उद्देश्य खेल संघों को जवाबदेह बनाना, उत्कृष्ट खिलाड़ियों को प्रतिनिधित्व देना और खेल विवादों के शीघ्र एवं प्रभावी समाधान के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना है। इसमें राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति, प्रत्येक मान्यता प्राप्त खेल के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघ तथा क्षेत्रीय खेल महासंघ की स्थापना का प्रावधान है।

विधेयक के अनुसार एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड खेल संघों को मान्यता देगा, उनकी संबद्ध इकाइयों का पंजीकरण करेगा और आवश्यक होने पर जांच या निलंबन की कार्रवाई करेगा। इसके अलावा निष्पक्ष चुनावों के संचालन के लिए पूर्व निर्वाचन आयुक्तों की एक राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल की नियुक्त की जाएगी। इसमें खेल विवादों के समाधान के लिए राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान है। इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील सीधे सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकेगी।

विधेयक में खेल संघों के लिए आचार संहिता तैयार करना, महिला और बाल खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए ‘सेफ स्पोर्ट्स पॉलिसी’ बनाना और सूचना के अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक संस्था के रूप में उत्तरदायी बनाना अनिवार्य किया गया है। केवल मान्यता प्राप्त संगठन ही केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेंगे।

विधेयक के उद्देश्य में कहा गया है, “भारत का प्रयास है कि देश में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेजबानी की जाए और इसके लिए तैयारियां चल रही हैं। साथ ही, 2036 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के आयोजन प्राप्त करने की तैयारियों के एक भाग के रूप में यह आवश्यक है कि खेल प्रशासन परिदृश्य में सकारात्मक परिवर्तन हो ताकि बेहतर परिणाम, खेल उत्कृष्टता और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन में सहायता मिल सके।”

इससे पहले वर्ष 2011 में ‘राष्ट्रीय खेल विकास संहिता’ लागू की गयी थी, परंतु वर्तमान विधेयक उस संहिता की सीमाओं को दूर करते हुए एक व्यापक और कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचा प्रस्तुत करता है, जिससे भारत खेल प्रशासन और प्रदर्शन दोनों में वैश्विक मानकों पर खरा उतर सके।

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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

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