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नेशनल हेराल्ड मामला: राहुल गांधी की तरफ से रखी गई दलील, 7 जुलाई को अगली सुनवाई

राउज एवेन्यू कोर्ट

नई दिल्ली, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड से जुड़े मामले में शनिवार काे राहुल गांधी की ओर से दलील रखी गईं। राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने कहा कि कांग्रेस ने एसोसिएटेड जरनल्स लिमिटेड (एजेएल) को बेचने की कोशिश नहीं की थी बल्कि वो इस संस्था को बचाना चाहती थी, क्योंकि वो स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थी। स्पेशल जज विशाल गोगने ने इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान चीमा ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन क्यों नहीं दिखा रही है। एजेएल की स्थापना जवाहर लाल नेहरु, जेबी कृपलानी, रफी अहमद किदवई और दूसरे कांग्रेस नेताओं ने 1937 में की थी। एजेएल के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएएशन में कहा गया है कि उसकी सभी नीतियां कांग्रेस की होंगी। एजेएल को कोई मुनाफा नहीं हुआ है। आजादी के बाद एजेएल ने कोई लाभ नहीं कमाया है। एक ऐसी संस्था को बचाने की कोशिश की गई जिसका आजादी के आंदोलन में योगदान था। समस्या यह थी कि एजेएल लोन से उबर नहीं पा रहा था। उसे पटरी पर लाने के लिए ये सब किया गया। कांग्रेस पार्टी ने कभी भी लाभ-हानि को नहीं देखा।

4 जुलाई को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से दलीलें रखी गई थी। सोनिया गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने आश्चर्यजनक और अप्रत्याशित मामला बनाया है। ये मनीलांड्रिंग का ऐसा मामला है जिसमें संपत्ति का कोई जिक्र नहीं है। यंग इंडियन ने पूरी कार्रवाई एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड को कर्जमुक्त करने के लिए की। हर कंपनी अपने को कर्जमुक्त करने के लिए कानून के मुताबिक कदम उठाती है। कंपनियां अपने को कर्जमुक्त करने के लिए दूसरी कंपनी को दे देती हैं। यंग इंडियन लाभ कमाने वाली कंपनी नहीं है। इसका मतलब है कि ये लाभांश, भत्ता, वेतन या बोनस नहीं दे सकती हैं। ये कंपनी कुछ नहीं दे सकती। ईडी ने सालों तक कुछ नहीं किया और किसी निजी शिकायत को आधार बनाकर कार्रवाई शुरु की।

3 जुलाई को ईडी की ओर से दलीलें पूरी कर ली गयी। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि यंग इंडियन 2000 करोड़ की आपराधिक आय प्राप्त करने का एक साधन था और यह मनीलांड्रिंग का एक क्लासिक मामला है। शेयर होल्डिंग सिर्फ नाम के लिए है और अन्य आरोपित गांधी परिवार की कठपुतली हैं। ईडी ने कहा था कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी कांग्रेस को नियंत्रित करते हैं। उनका उद्देश्य 92 करोड़ प्राप्त करना नहीं था, बल्कि उनका उद्देश्य 2000 करोड़ रुपये प्राप्त करना था।

ईडी ने 2 जुलाई को कोर्ट को बताया था सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने 2000 करोड़ की संपत्ति के लिए मात्र 50 लाख रुपये ही दिए। ईडी ने कहा था कि एसोसिएटेड जनरल्स लिमिटेड का स्वामित्व लेने के बाद गांधी परिवार के नियंत्रण वाली यंग इंडियन लिमिटेड ने घोषणा की कि वो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन नहीं करेगा।

कोर्ट ने 2 मई को इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत 7 आरोपितों को नोटिस जारी किया था। ईडी ने 15 अप्रैल को कोर्ट में अभियोजन शिकायत दाखिल किया था। ईडी ने इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा को आरोपित बनाया है। ईडी ने मनी लाऊंड्रिंग कानून की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दाखिल किया है। ईडी की ओर से पेश वकील एनके माटा ने कहा था कि इस मामले में 2019 में सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 403, 406 और 420 के तहत एफआईआर दर्ज किया था।

इस मामले में शिकायतकर्ता सुब्रह्ण्यम स्वामी का आरोप है कि दिल्ली में बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 1600 करोड़ की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जबकि गांधी परिवार ने दलील दी थी कि उन्हें बेवजह प्रताड़ित करने के मकसद से अदालत के समक्ष याचिका लगाई गई है।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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