
उदयपुर, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का उद्देश्य व्यावसायिक और शैक्षणिक विषयों के बीच लंबे समय से मौजूद भारी अंतर को दूर करना है। इस नीति के तहत व्यावसायिक और व्यावहारिक कौशल को स्कूल और उच्चतर शिक्षा में शामिल कर मुख्यधारा की शिक्षा के साथ कौशल विकास को एकीकृत करने पर विशेष बल दिया गया है। इसके साथ ही मिडिल और माध्यमिक विद्यालय स्तर पर प्रारंभिक चरण से ही व्यवसायपरक शिक्षा को लागू करने का आह्वान किया गया है।
लोकसभा में उदयपुर सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. सुकान्त मजूमदार ने यह जानकारी दी। सांसद रावत ने एनईपी 2020 के देशभर में क्रियान्वयन, इसके अंतर्गत संचालित कौशल विकास पाठ्यक्रमों, कार्यान्वयन के लिए उठाए गए कदमों तथा प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को माध्यम बनाने की पहल के संबंध में सवाल किया था।
राज्य मंत्री ने बताया कि एनईपी 2020 के अनुरूप, केंद्र प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना के कौशल शिक्षा घटक के तहत कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को राष्ट्रीय कौशल योग्यता रूपरेखा (NSQF) के अनुसार कौशल आधारित पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि नीति लागू होने के बाद स्कूल और उच्च शिक्षा—दोनों क्षेत्रों में कई परिवर्तनकारी बदलाव हुए हैं। इसके लिए राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य हितधारकों के साथ समय-समय पर कार्यशालाएं, परामर्श बैठकें और समीक्षा सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
डॉ. मजूमदार ने यह भी बताया कि एनईपी 2020 बहुभाषावाद को बढ़ावा देने और भारतीय भाषाओं को जीवित बनाए रखने पर केंद्रित है। नीति में जहां तक संभव हो, कक्षा 5 तक तथा वांछनीय रूप से कक्षा 8 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या स्थानीय भाषा रखने की सिफारिश की गई है।बजट 2025-26 में सरकार ने “भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना” की घोषणा की है, जिसके तहत स्कूल और उच्चतर शिक्षा में उपलब्ध सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों और अध्ययन सामग्री का अनुवाद कर उन्हें डिजिटल रूप में 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा।
यह पहल न केवल शिक्षा में भाषा संबंधी बाधाओं को कम करेगी बल्कि कौशल आधारित, समावेशी और बहुभाषी शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को व्यावसायिक और शैक्षणिक दोनों क्षेत्रों में बेहतर अवसर उपलब्ध कराएगी।
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(Udaipur Kiran) / सुनीता
