
-नैतिक पत्रकारिता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आह्वान
इंफाल, 18 जून (Udaipur Kiran) । मणिपुर के इंफाल पश्चिम स्थित भास्कर प्रभा, कोंजेंग लैकाई में देवर्षि नारद जयंती की पवित्र गूंज गूंजी, जब बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और सांस्कृतिक विचारकों ने सत्य के पहले संप्रेषक देवर्षि नारद के जीवन और विरासत को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
विश्व संवाद केंद्र (विसंके), मणिपुर द्वारा मंगलवार की शाम को आयोजित इस आयोजन ने जहां एक ओर नारद मुनि को स्मरण किया, वहीं दूसरी ओर मीडिया जगत को नैतिक मूल्यों और राष्ट्रहित में आधारित सेवा की भावना के साथ पत्रकारिता को पुनः अपनाने का आह्वान किया।
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक एवं केसरी साप्ताहिक के पूर्व मुख्य संपादक जे. नंदकुमार इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने शब्दों की पवित्रता और उनके गहरे अर्थ पर प्रकाश डालते हुए कहा-
“पत्रकार शब्दों के संरक्षक होते हैं; शब्दों का सही अर्थ ब्रह्मांड को प्रकाश देता है- और वही ज्ञान है।”
भारत में पत्रकारिता के विकास पर विचार व्यक्त करते हुए नंदकुमार ने बताया कि किस प्रकार यह सेवा से व्यापार में परिवर्तित हो गई है।
“स्वतंत्रता-पूर्व काल में जहां पत्रकारिता समाज और मानवता की सेवा थी, वहीं आज यह व्यवसायिक हितों से प्रेरित हो गई है। समाचार अब केवल कहानियां बनकर बिक रही हैं, न कि जिम्मेदारियों की तरह निभाई जा रही हैं।”
उन्होंने देवर्षि नारद की शाश्वत प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए उन्हें सत्य और ज्ञान के निर्भीक प्रचारक के रूप में याद किया। उन्होंने कह, “नारद केवल पौराणिक पात्र नहीं हैं, वे पत्रकारिता के आदर्श हैं- तीनों लोकों में सत्य और ज्ञान को निडरता से पहुंचाने वाले पहले संचारक।”
महात्मा गांधी के दृष्टिकोण को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, “पत्रकारिता सेवा का माध्यम होनी चाहिए, केवल एक व्यवसायिक उपक्रम नहीं।”
संस्कृतिक विमर्श पर तीखी टिप्पणी करते हुए उन्होंने भारतीय अकादमिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण में अब भी मौजूद औपनिवेशिक मानसिकता पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा, “हम क्यों चाणक्य को ‘भारतीय मैकियावेली’, कालिदास को ‘भारत का शेक्सपियर’, या समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ कहते हैं? यह सब औपनिवेशिक मानसिकता का परिणाम है। हमारे नायकों को इतिहास में अपनी पहचान और स्थान मिलना चाहिए, उधार के संदर्भों से नहीं।”
इस अवसर पर पोखनाफम के संपादक अरिबम रॉबिंद्रो शर्मा, जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, ने भी युवाओं और पत्रकारों से आग्रह किया कि वे सत्य, नैतिकता और राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहें, विशेषकर आज के चुनौतीपूर्ण मीडिया परिदृश्य में।
कार्यक्रम के दौरान देवर्षि नारद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। यह आयोजन छात्रों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और विचारशील नागरिकों की उत्साही उपस्थिति के साथ संपन्न हुआ, जो मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य से एकजुट हुए थे।
नारद जयंती का यह आयोजन एक सशक्त संदेश के साथ संपन्न हुआ- एक ऐसा आह्वान जो आत्ममंथन, सुधार और सेवा के भाव से प्रेरित होकर सत्य, राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
