
मुंबई ,5 सितंबर ( हि.स.) । राज्य सरकार ने 2004 में सेवा में पदोन्नति में आरक्षण देने वाले कानून को निरस्त कर दिया था। न्यायालय ने इस आरक्षण को बहाल करने का निर्णय दिया है। फिर भी, राज्य सरकार दलित-पिछड़े वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण नहीं दे रही है। महाराष्ट्र नगरपालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रवींद्र चांगो शिंदे ने चेतावनी दी है कि इस आरक्षण को तत्काल लागू करने की मांग को लेकर सोमवार (8 सितंबर) से ठाणे जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन अर्धनग्न( मतलब शर्ट उतारकर) भूख हड़ताल शुरू करेंगे।
इस संबंध में रवींद्र शिंदे ने प्रमुख सचिव, स्थानीय निकाय आयुक्त और जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन दिया है। उनके द्वारा दिए गए निवेदन के अनुसार,महाराष्ट्र सरकार ने 2004 में भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 16 (4ए) के अनुसार पदोन्नति में संवैधानिक आरक्षण प्रावधान को निरस्त कर दिया था। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सभी सेवा समूहों में क्रमशः 15% और 7.5% की दर से गैर-चयनात्मक पदोन्नति में आरक्षण उपलब्ध है। चयनात्मक पदोन्नति के मामले में, समूह ‘ए’ के निम्नतम ग्रेड तक समान दर पर आरक्षण उपलब्ध है। हालाँकि, सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने और इस कोटे को खुले वर्ग से भरने का निर्णय लिया था। संघ का कहना है कि उच्च न्यायालय ने इस निर्णय को रद्द करने से इनकार कर दिया है। तदनुसार, महाराष्ट्र में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, खानाबदोश, निराश्रित और विशेष पिछड़ा वर्गों के लिए पदोन्नति में 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा पिछले चार वर्षों से लंबित था। हालाँकि, सरकार ने अभी तक इस निर्णय को लागू नहीं किया है। इसके कारण, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कई सरकारी अधिकारी वर्ष 2004 से सेवा में पदोन्नति से वंचित हैं। यह सामाजिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। साथ ही, उच्च न्यायालय के आदेश का भी उल्लंघन है। इसलिए, पदोन्नति में आरक्षण तुरंत शुरू किया जाना चाहिए; अन्यथा, शिंदे ने चेतावनी दी है कि अगले सोमवार (8 सितंबर) से उपरोक्त संगठन ठाणे जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने अर्धनग्न अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेगा।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
