
उदयपुर, 27 सितंबर (Udaipur Kiran News) । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व जनजातीय केबिनेट मंत्री और आदिवासी अंचल की सशक्त आवाज रहे नंदलाल मीणा का लंबी बीमारी के बाद 80 वर्ष की आयु में शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके पुत्र हेमंत मीणा वर्तमान में केबिनेट मंत्री हैं। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने मीणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
25 जनवरी 1946 को प्रतापगढ़ जिले के अम्बामाता का खेड़ा गांव में जन्मे नंदलाल मीणा के पिता का नाम किशनलाल और माता का नाम देवीबाई था। उन्होंने मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर से बी.ए. और एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती-बाड़ी के साथ-साथ वे सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय हुए। 20 जून 1968 को उनका विवाह सुमित्रा देवी से हुआ। परिवार में एक पुत्र और पांच पुत्रियां हैं।
नंदलाल मीणा ने 1972 में पहली बार लसाड़िया विधानसभा से चुनाव लड़ा, किंतु सफलता नहीं मिली। वर्ष 1977 में वे जनता पार्टी के टिकट पर उदयपुर ग्रामीण से विधायक चुने गए। 1980 में जनता पार्टी के विभाजन के बाद जब मुंबई अधिवेशन में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ, तब वे भी वहां मौजूद थे और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल हुए।
आदिवासी बहुल अंचल में भाजपा संगठन को मजबूत करने में उनकी अहम भूमिका रही।
राजनीतिक जीवन में नंदलाल मीणा कुल सात बार विधायक और एक बार सांसद रहे। राजस्थान सरकार में वे तीन बार मंत्री बने। वसुंधरा राजे सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। मंत्री रहते हुए उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में छात्रावास, एनीकट, सिंचाई योजनाओं और सड़कों के व्यापक जाल के विकास को प्राथमिकता दी।
नंदलाल मीणा समय-समय पर भील प्रदेश की मांग को लेकर सुर्खियों में रहे। वर्ष 2014 में उन्होंने इस मांग का विरोध किया था, किंतु 2016 में समर्थन करते हुए यहां तक कह दिया था कि यदि आवश्यक हुआ तो वे मंत्री पद भी छोड़ने को तैयार हैं।
वर्ष 2018 में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली और पार्टी ने उनके पुत्र हेमंत मीणा को चुनाव मैदान में उतारा। हालांकि, उस चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। बाद में 2023 के विधानसभा चुनाव में हेमंत मीणा ने जीत दर्ज की और वर्तमान में वे राज्य सरकार में राजस्व मंत्री हैं।
नंदलाल मीणा का निधन न केवल भाजपा के लिए, बल्कि पूरे जनजातीय अंचल के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। उनके निधन पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में शोक की लहर है।
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(Udaipur Kiran) / सुनीता
