
बनगांव, 11 अगस्त (Udaipur Kiran) । बनगांव में 2002 की मतदाता सूची को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। ऑल इंडिया मतुआ महासंघ ने आरोप लगाया है कि बनगांव उत्तर के भाजपा विधायक अशोक कीर्तनिया के माता-पिता का नाम उस साल की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है, जबकि उनका अपना नाम सूची में मौजूद है। महासंघ ने इसे गंभीर अनियमितता बताते हुए विधायक पद रद्द करने और कानूनी कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, भाजपा विधायक ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
राज्य के कई हिस्सों में 2002 की मतदाता सूची की जांच की जा रही है, और बनगांव ब्लॉक के घाट बाउर क्षेत्र की 354 नंबर सूची में यह मामला सामने आया। आरोप है कि विधायक ने अवैध तरीके से अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज कराया। जबकि 2011 की बनगांव नगरपालिका के गांधी पल्ली इलाके की सूची में उनके माता-पिता का नाम दर्ज पाया गया है।
मतुआ महासंघ बनगांव शाखा के सचिव प्रसेनजीत विश्वास ने कहा है कि 2002 की सूची में विधायक का नाम है, लेकिन माता-पिता का नहीं। बाद में 2011 में उनके नाम मिले। एक ‘बांग्लादेशी घुसपैठिया’ कैसे विधायक बन सकता है? हमने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है और तत्काल इस्तीफे के साथ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
वहीं, विधायक अशोक कीर्तनिया ने कहना है कि मेरे पिता 1950 में बांग्लादेश से आए थे और सभी दस्तावेज मेरे पास हैं। 1993 में माता-पिता का नाम मतदाता सूची में शामिल हुआ। 2002 में क्यों नहीं आया, यह उस समय के वाम नेताओं से पूछा जाए। यह तृणमूल की राजनीतिक साजिश है।
तृणमूल बनगांव संगठनात्मक जिलाध्यक्ष विश्वजीत दास ने कहा है कि 2002 में विधायक का नाम है, लेकिन माता-पिता का नहीं यह कैसे संभव है? पहली बार देख रहा हूं कि मां-बाप से पहले बेटा वोटर बन गया हो। भाजपा एनआरसी और सीएए के नाम पर साजिश कर रही है। वहीं, भाजपा बनगांव संगठनात्मक जिलाध्यक्ष विकास घोष ने इस आरोप को पूरी तरह निराधार बताया है।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
