Madhya Pradesh

नागदा : सात समंदर पार से आए बेटों ने पिता की स्मृति में सनातन संस्कृति की पेश की मिसाल

नागदा : सात समंदर पार से आए बेटों ने पिता की स्मृति में सनातन संस्कृति की पेश की मिसाल

नागदा, 8 अगस्त (Udaipur Kiran) । वर्तमान परिवेश की आपाधापी की जिदंगी में इंसान अपनी सनातन संस्कृति, प्रकृति परवरिश और नैतिक कर्तव्यों को भूलता जा रहा है। इन बातों की मूल अवधारणा और उसकी बुनियाद को जीवंत रखने का एक अनूठा कार्यक्रम हुआ। जीवकपार्जन के लिए सात समुदर पार अमेरिका में कार्यरत बेटों ने अपने दिवंगत पिता की तेरहवीं के दिन आयोजित कार्यक्रम में हनुमान चालीसा की सैकड़ों प्रति का वितरण किया। साथ ही पौधा रोपण का संकल्प भी लिया। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए समाजजनों को प्रेरित करने के लिए व्याख्यान भी हुए।

मामला यह था कि मध्‍य प्रदेश के धार जिले के गांव पदमपूरा में विश्वकर्मा परिवार में जन्में शालिगराम विश्वकर्मा ने मुसीबतों और तंगहाली से मुकाबला कर अपनी प्रतिभा से एसडीओ (ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा) इंदौर से सेवानिवृत हुए थे। इन्हें प्रशासकीय सेवा में उत्कृष्ट कार्य व नवाचार के कारण मप्र सरकार ने अवॉर्ड से भी नवाजा था। हाल में इंदौर में इनका गत 25 जुलाई को निधन हुआ। दिवंगत विश्वकर्मा के दो बेटे जीविकापार्जन के लिए विदेश में है। ये दोनों पिता के अंतिम संस्कार में लौटे । इन्होंने भारतीय संस्कृति की पंरपरा के अनुरूप 13 दिनों तक सामाजिक दायित्वों को निर्वहन किया। तेरहवीं के दिन सैकड़ों लोग एक अनूठे कार्यक्रम के साक्षी बने।

इस कार्यक्रम में हनुमान चालिसा की कृति दिवंगत पिता की तस्वीर लगाकर वितरीत की गई। आज की युवा पीढी को यह भी संदेश मिला कि ऐसा लोगों का जीवन समाज के लिए प्रेरणादायी है।

हनुमान चालिसा के उच्चारण शब्दों से वैज्ञानिक दष्टिकोण मानसिक शांति का संदेश भी गया। यह आयोजन रिंगरोड स्थित सुरूचि गार्डन इंदौर में हुआ । इस मौके पर गायत्री परिवार के चिंतक नारायण चावड़ा (इंदौर) और शिवनारायणजी विश्वकर्मा लुहारी (शाजापुर) ने प्रकृति संरक्षण के लिए दिवगत आत्मा की स्मृति में परिजनों को पौधें भेंट किए।

(Udaipur Kiran) / कैलाश सनोलिया

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