Assam

अहोम वंश की जड़ों की खोज में असम आएगा म्यांमार का प्रतिनिधिमंडल

गुवाहाटी, 5 नवम्बर (Udaipur Kiran) । म्यांमार से आने वाला लगभग 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार (7 नवम्बर) को असम पहुंचेगा। यह प्रतिनिधिमंडल अहोम वंश की ऐतिहासिक जड़ों की खोज के उद्देश्य से शिवसागर और चराईदेव जिलों के कई महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण करेगा।

इस संबंध में ताई अहोम पुनरुत्थान संस्था (स्टार) के अध्यक्ष डॉ. हेमंत कुमार गोगोई ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में चौलुंग चियु-का-फा के वंशज भी शामिल होंगे। वे स्थानीय ताई अहोम समुदाय से मुलाकात कर सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।

इस यात्रा के दौरान म्यांमार के उपमुख्यमंत्री चौना मेन भी मौजूद रहेंगे। उनके साथ एक खामती सांस्कृतिक दल भी आएगा, जो पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुत करेगा। कार्यक्रम में ऐ सिंग लाओ, खामती, ताई अहोम आधुनिक नृत्य, ताई मोर नृत्य, कटौ नृत्य, हेंगडांग नृत्य तथा ताई संगीत और पारंपरिक भोजन का विशेष प्रदर्शन किया जाएगा।

इस दौरे का मुख्य उद्देश्य न केवल अहोम वंश की ऐतिहासिक जड़ों का पता लगाना है, बल्कि म्यांमार और असम के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को भी मजबूत करना है।

बता दें कि, अहोम राजवंश (1228-1826 ई.) और (1833-1838 ई.) ने वर्तमान भारत के असम में अहोम साम्राज्य पर लगभग 600 वर्षों तक शासन किया। इस राजवंश की स्थापना मोंग माओ (वर्तमान शान राज्य, म्यांमार) के एक शान राजकुमार सुकफा ने की थी, जो पटकाई पर्वतों को पार करके असम आए थे। इस राजवंश का शासन असम पर बर्मी आक्रमण और उसके बाद 1826 में यंदाबो की संधि के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा विलय के साथ समाप्त हो गया।

मध्यकालीन बाह्य इतिहास में इस राजवंश के राजाओं को असम राजा कहा जाता था, जबकि राज्य की प्रजा (असमिया में) उन्हें चाओफा या स्वर्गदेव कहती थी।

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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश