
परिवार में विवाद के कारण पुत्र-पुत्री ने अलग-अलग किया तेरही का आयोजन, प्रशंसकों में आक्रोश
वाराणसी, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मंगलवार शाम प्रख्यात उपशास्त्रीय गायक, पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वाराणसी में आयोजित इस तेरही कार्यक्रम में संगीत जगत के दिग्गज, विशिष्टजन और प्रशंसक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। हालांकि, पारिवारिक विवाद के चलते तेरही का आयोजन दो अलग-अलग स्थानों पर किया गया, जिससे पंडित जी के प्रशंसकों में क्षोभ देखने को मिला।
पंडित जी के पुत्र रामकुमार मिश्र ने जहां दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार महाविद्यालय में तेरही व ब्राह्मण भोज का आयोजन किया, वहीं उनकी बेटी डॉ. नम्रता मिश्रा ने रोहनिया के केसरीपुर स्थित अपने आवास पर अलग आयोजन किया। दोनों ही स्थलों पर संगीतकारों और गणमान्य नागरिकों ने पंडित जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। डॉ. नम्रता के आवास पर पद्मश्री देवी प्रसाद सहित कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी, प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक अमित मालवीय, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी प्रो. ज्ञान प्रकाश वर्मा, मिर्जापुर नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर केसरी, पूर्व मेयर रामगोपाल मोहले और नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर डॉ. नम्रता मिश्रा ने कहा कि उनके पिता श्रीरामचरितमानस और अध्यात्म के गहरे जानकार थे, जो उनके संगीत में स्पष्ट झलकता था। उन्होंने पंडित जी की मृत्यु को भारतीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति बताया और संकल्प लिया कि वह उनके संगीत विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी। डॉ. नम्रता ने आरोप लगाया कि उनके बड़े भाई रामकुमार मिश्र ने पंडित जी का अंतिम संस्कार सनातनी परंपराओं के अनुसार नहीं किया। इधर, पंडित रामकुमार मिश्र ने बहन के आरोपों को न सिर्फ झूठ बताया, बल्कि अपील किया कि सभी बातों को भूलकर मिलजुल हल निकालें। पूरी प्रक्रिया सनातन धर्म के अनुसार की गई। ज्ञात हो, बनारस और किराना घराने की गायकी के स्तंभ रहे पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन 2 अक्टूबर को हुआ था। मूल रूप से आजमगढ़ निवासी पंडित जी वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्म भूषण और 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किए गए थे। वर्ष 2014 में वह वाराणसी से भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के लोकसभा नामांकन में प्रस्तावक भी रहे थे। अपने जीवन के अंतिम तीन वर्ष उन्होंने मिर्जापुर स्थित अपनी पुत्री के आवास पर बिताए।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
