
मुरादाबाद, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भारत की ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस में एक नया मोड़ आया है। उत्तर प्रदेश के
मुरादाबाद जनपद निवासी एवंं बाबू मुकुट बिहारी लाल जैन सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार जैन ने मंगलवार को दावा किया है कि ताजमहल सहित देश की कई प्रसिद्ध इमारतें मूल रूप से मुगलों द्वारा निर्मित नहीं हैं, बल्कि ये प्राचीन भारतीय शिल्प की अनुपम कृतियां हैं, जिन्हें मुगलों ने मात्र परतें चढ़ाकर और कुछ तत्व छिपाकर अपना नाम दे दिया।
डॉ. जैन ने अपनी प्रतिक्रिया में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. पुरुषोत्तम नागेश ओक (पी.एन. ओक) की पुस्तकों का विशेष उल्लेख किया, जिन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत पर कई किताबें लिखीं। ओक की किताबें, जैसे ताजमहल द ट्रू स्टोरी और ताजमहल तेजोमहालय शिव मंदिर है। ताजमहल को मूल रूप से एक शिव मंदिर-पैलेस बताती हैं, जिसे जयपुर के राजा मानसिंह ने बनवाया था।
ओक के अनुसार, शाहजहां ने इसे कब्जा कर मुमताज महल का मकबरा घोषित कर दिया। डॉ. जैन ने कहा कि ओक की हर पुस्तक तथ्यों से भरी हुई है। भारत में मुगलों ने एक भी भवन का निर्माण नहीं किया। चाहे लखनऊ के इमामबाड़े हों, ताजमहल हो, राम मंदिर हो, कृष्ण जन्मभूमि हो, संभल का हरिहर मंदिर हो या ज्ञानवापी मंदिर हो, ये सब भारतीय शिल्प की उत्कृष्ट रचनाएं हैं। मुगलों ने केवल इनके ऊपर परतें चढ़ाईं और कुछ चीजें छिपाईं, फिर इन्हें मस्जिद, इमामबाड़ा या ताजमहल जैसे नाम से प्रचारित किया।
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(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल
