गुवाहाटी, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । असम में छह जनजातियों को जनजाति का दर्ज देने को लेकर राज्य में राजनीति और बयानबाजी इन दिनों काफी तेज हो गयी है। जनजाति का दर्जा पाने को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे छह जनजातियां जहां राज्य सरकार पर दबाव बना रही हैं, वहीं जनजातियों का दर्जा पाने वाले समाज इसका विरोध कर रहे हैं। राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने भी आंदोलनरत समाज के साथ अपना समर्थन जताया है।
“छह जनजातियों को जनजाति की मान्यता दी जाएगी तो असली जनजातियां नष्ट हो जाएंगी। यह टिप्पणी ट्राइबल संघ के सचिव आदित्य खाखलारी द्वारा छह जनजातियों को जनजाति का दर्जा देने संबंधी दिये गये बयान के संबंध में बरपेटा के सांसद फणीभूषण चौधरी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सांसद ने कहा, छह जनजातियों को जनजातिगतकरण की आवश्यकता है, इसलिए मैं, एक जनप्रतिनिधि के रूप में, जो करना चाहिए वह मांग रहा हूं, और करता रहूंगा।
इसके साथ ही कमतापुर स्वायत्त परिषद के कार्यकारी सदस्य प्रदीप राय और आक्रासु के अध्यक्ष दीपेन राय ने भी खाखलारी की इस तरह की टिप्पणी को अस्वीकार्य बताया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार आदित्य खाखलारी जैसे व्यक्तियों का इस तरह उपयोग कर रही है।
इस बीच सांसद फणीभूषण चौधरी ने आदित्य खाकलारी की टिप्पणी को एक तरह से खारिज करते हुए जनजाति का दर्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहे मोरान, मटक, कोच-राजबंशी, सुतिया, अहोम और चाय जनजाति समाज का समर्थन किया है।
(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
