
धर्मशाला, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला और डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी जैव विज्ञान और जैव सूचना विज्ञान के व्यापक क्षेत्रों में शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं। इसी संबंध में मंगलवार को दोनों संस्थानों ने एक समझौता ज्ञापन एमओयू पर हस्ताक्षर किए। दोनों संस्थान ज्ञान आधारित उद्यमों को आगे बढ़ाने, भविष्य की प्रौद्योगिकी विकास के लिए उपयुक्त तकनीकी और प्रबंधन कौशल, सूचना के आदान-प्रदान और मानव संसाधन विकास और अनुसंधान एवं विकास के लिए प्रभावी अनुसंधान संस्थान-अकादमिक साझेदारी की दिशा में काम करने के लिए सहमत होने वाले अन्य सभी संबंधित क्षेत्रों में सहयोग करने के इच्छुक हैं।
यह समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर की तिथि से प्रभावी होगा और पांच वर्ष पूरे होने तक लागू रहेगा। दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से इसकी वैधता बढ़ाई जा सकती है। इस समझौता ज्ञापन का दायरा जंतु विज्ञान, कृषि विज्ञान, जैविक विज्ञान या भौतिक/रासायनिक विज्ञान तथा अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में अनुसंधान और शिक्षण हेतु सहयोग करना होगा। दोनों संस्थानों के नियमित पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में संकायों का आदान-प्रदान होगा। दोनों संस्थानों के पारस्परिक लाभ के लिए, यूएचएफ और सीयू के संकाय सदस्यों का आदान-प्रदान होगा। यूएचएफ वैज्ञानिकों और सीयू के संबंधित स्कूलों के संकाय सदस्यों द्वारा अनुसंधान सुविधाओं के पारस्परिक साझाकरण के माध्यम से अपने स्वयं के खर्च पर सहयोगात्मक और संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
दोनों विश्वविद्यालय उपरोक्त विषयों में स्नातकोत्तर/एम.फिल./पीएचडी डिग्री प्राप्त करने हेतु अनुसंधान के पर्यवेक्षण, मार्गदर्शन और संचालन हेतु एक-दूसरे को मान्यता प्रदान करेंगे। दोनों विश्वविद्यालय, संबंधित विश्वविद्यालय के अधिनियम, परिनियम और अध्यादेशों के अनुसार पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करने के अधीन, एक-दूसरे के वैज्ञानिकों व संकाय को स्नातकोत्तर, एम.फिल., पीएच.डी. डिग्री के लिए अनुसंधान मार्गदर्शन हेतु सह-पर्यवेक्षक के रूप में मान्यता देंगे।
उधर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल और नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर चंदेल ने इस समझौता ज्ञापन पर खुशी जताते हुए कहा कि इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से दोनों संस्थानों के बीच शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
