
उज्जैन, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । महाकालेश्वर मंदिर में बुधवार को गर्भगृह से नंदी हाल तक आकर्षक एवं भव्य पूष्प सज्जा की गई। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी होने से इसे श्रावण शिवरात्रि के रूप में लिया जाता है। भक्तों ने बाबा महाकाल के दर्शन किए और पूण्य लाभ लिया। एक लाख से अधिक भक्त बाबा के दर्शन करने मंदिर पहुंचे।
महाकाल मंदिर के वरिष्ठ महेश पुजारी ने बताया कि वर्ष में 12 शिवरात्रियों का उल्लेख है। इनमें श्रावण मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। उन्होने बताया कि श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिवजी की पूजा का विशेष महात्म्य है। चूंकि श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास हे,इसलिए भी इस मास की शिवरात्रि को व्रत रखने,जलाभिषेक कर पूजन करने पर सुख-समृद्धि आती है। इधर बुधवार को शिवरात्रि के चलते बाबा महाकाल का भस्मार्ती पश्चात आकर्षक श्रृंगार किया गया। मस्तक पर चांदी का चंद्र पहनाकर,
भांग से श्रृंगार किया गया और गुलाब के फूलों की माला अर्पित की गई। संध्याकालीन श्रृंगार भी मनमोहक था।
काली पट्टी को लेकर मतभेद……..
महाकाल मंदिर में पुजारियों के बीच काली पट्टी बांधने की खबर पहुंचने पर आपसी मतभेद सामने आए हैं। एक पक्ष ने यह बात रखी है कि पिछली सवारी मंदिर वापस आने में देरी का कारण कहार एवं पुजारी थे ? हालांकि इस बात की पुष्टी कोई सीधे तोर पर नहीं कर रहा है। इधर जब यह बात सामने आई कि सोमवार को तीसरी सवारी में पुजारी इस बात का विरोध करते हुए कि उनकी भावनाएं आहत हुई है,काली पट्टी बांधेंगे। यह बात अन्य पुजारियों तक पहुंचने पर कुछ ने विरोध करते हुए कहा है कि वे क्यों बांधे बाबा महाकाल की सवारी में काली पट्टी? भगवान प्रजा का हाल जानने निकलते हैं और वे अपशकुन क्यों करे काला कपड़ा अपने शरीर पर बांध कर। अब देखनेवाली बात होगी कि सोमवार को सवारी में क्या होता है?
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
