
कोलकाता, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में शैक्षणिक सत्रों के दौरान छात्रों के पंजीकरण की स्थिति पर राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के आंतरिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मौजूद जीरो एनरोलमेंट (शून्य नामांकन) स्कूलों में से 34 प्रतिशत से अधिक सिर्फ कोलकाता में हैं।
जीरो एनरोलमेंट स्कूल वे स्कूल होते हैं जहां इस समय कोई भी छात्र नामांकित नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 23 जिलों में कुल 348 ऐसे स्कूल हैं। इनमें से कई स्कूल 2020 से ही छात्रों से खाली हैं, जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने इन स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है।
इनमें से 119 स्कूल कोलकाता में स्थित हैं, जो कि राज्य भर के ज़ीरो एनरोलमेंट स्कूलों का 34.19 प्रतिशत है। इसके बाद उत्तर 24 परगना में 60 स्कूल (17.24 प्रतिशत), हावड़ा में 24 (6.89 प्रतिशत) और पूर्व बर्दवान में 18 (5.17 प्रतिशत) स्कूल हैं।
इसके विपरीत, उत्तर बंगाल का कूचबिहार जिला इस सूची में सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है, जहां सिर्फ एक जीरो एनरोलमेंट स्कूल है। बीरभूम और कालिमपोंग जिलों में ऐसे सिर्फ दो-दो स्कूल हैं।
भाजपा के राज्य महासचिव जगन्नाथ चटर्जी ने इन आंकड़ों को राज्य की शिक्षा व्यवस्था का दयनीय प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा है कि इनमें से कई जीरो एनरोलमेंट स्कूल 50 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। इसके अलावा राज्य में ऐसे और भी कई स्कूल हैं जहां नामांकन बेहद कम है। सरकार चरणबद्ध तरीके से उन्हें भी बंद करने की योजना बना रही है।
उन्होंने आगे कहा है कि जब अन्य राज्य नए स्कूल खोल रहे हैं, पश्चिम बंगाल में पहले से मौजूद स्कूलों को बंद किया जा रहा है। ममता बनर्जी के 14 वर्षो के शासन के बाद शिक्षा की यह हालत है।
राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारियों, जिनमें शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु भी शामिल हैं, ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
इससे पहले इसी महीने, भाजपा आईटी सेल प्रमुख और पश्चिम बंगाल के केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने भी राज्य सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने इसे राज्य से स्नातक छात्रों के अन्य राज्यों में पलायन की बढ़ती प्रवृत्ति का संकेत बताया। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में दाखिले की अंतिम तिथि को दो सप्ताह बढ़ाना यह दर्शाता है कि स्थानीय कॉलेजों में छात्रों की रुचि बेहद कम है।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
