Jammu & Kashmir

जम्मू संभाग में 21,000 कनाल से ज्यादा ज़मीन का सीमांकन किया गया, कश्मीर में एक भी नहीं

केंद्र शासित प्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में भूमिहीन लोगों को पाँच मरला ज़मीन दी जाएगी

श्रीनगर, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर विधानसभा में राजस्व विभाग ने बताया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने जम्मू-कश्मीर जल संसाधन (विनियमन और प्रबंधन) अधिनियम, 2010 के प्रावधानों के तहत जम्मू संभाग में 21,000 कनाल से ज्यादा ज़मीन का सीमांकन किया है जबकि कश्मीर संभाग में अभी तक ऐसा कोई सीमांकन नहीं किया गया है।

विधायक राजीव जसरोटिया के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में विभाग ने कहा कि 25 अक्टूबर, 2017 को एसआरओ-456 जारी होने के बाद जल स्रोतों और मार्गों में विवादों से बचने के लिए सीमांकन और परिसीमन प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

सरकार ने कहा कि प्रशासनिक परिषद ने 29 जनवरी, 2022 के निर्णय संख्या 17/1/2022 के तहत उन भूमियों के सीमांकन या परिसीमन की निगरानी के लिए त्रि-स्तरीय समितियों के गठन का आदेश दिया था जो किसी जल स्रोत का हिस्सा नहीं हैं लेकिन राजस्व अभिलेखों में गैर मुमकिन खड्ड, गैर मुमकिन दरिया या गैर मुमकिन नाला के रूप में दर्ज हैं।

इसमें बताया गया है कि जम्मू संभाग में कुल 21,697 कनाल और 17 मरला क्षेत्र का सीमांकन किया गया है जबकि कठुआ जिले में 15,057 कनाल और 01 मरला (राज्य और निजी भूमि दोनों सहित) का सीमांकन किया गया है।

सरकार ने कहा कि गैर-मुमकिन खड्ड और इसी तरह की श्रेणियों से संबंधित मुद्दों की जाँच के लिए सरकार ने उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है जो तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। साथ ही जल शक्ति विभाग इस समिति को सेवाएँ प्रदान करेगा।

सरकार ने कहा कि चूँकि सीमांकन प्रक्रिया तकनीकी प्रकृति की है इसलिए जल प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी होने के नाते जल शक्ति विभाग को निर्धारित वैधानिक प्राधिकरण के अनुसार इस कार्य की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह

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