HimachalPradesh

हिमाचल से विदा हुआ मानसून, एक हफ्ते तक खिलेगी धूप, 454 लोगों की गई जान, 50 लापता

शिमला, 24 सितंबर (Udaipur Kiran News) । कहर बरपाने के बाद आखिरकार हिमाचल प्रदेश से दक्षिण-पश्चिम मानसून विदा हो गया है। मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि बुधवार को चंबा, कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, मंडी जिलों सहित शिमला और कुल्लू के अधिकांश हिस्सों तथा लाहौल-स्पीति के कुछ भागों से मानसून पूरी तरह लौट गया। आने वाले 2 से 3 दिनों में प्रदेश के शेष हिस्सों से भी मानसून विदा हो जाएगा। विभाग ने अनुमान जताया है कि अब 30 सितम्बर तक पूरे राज्य में मौसम साफ रहेगा और लोगों को गुनगुनी धूप का आनंद मिलेगा। बीते 24 घंटों में प्रदेश में कहीं भी वर्षा दर्ज नहीं हुई है।

इस साल मानसून 20 जून को हिमाचल पहुँचा था और सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। प्रदेश से मानसून की सामान्य विदाई तिथि 25 सितम्बर होती है, लेकिन पिछले दस वर्षों में केवल तीन बार ही सितंबर में विदाई हुई है। वर्ष 2022 में मानसून 3 अक्टूबर, 2023 में 6 अक्टूबर और 2024 में 2 अक्टूबर को विदा हुआ था। इस बार यह सामान्य से पहले लौट गया है।

हालांकि यह मानसून हिमाचल के लिए भारी तबाही लेकर आया। राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार अब तक 454 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 लोग अभी भी लापता हैं। मृतकों में सर्वाधिक 68 लोग चंबा जिले में, मंडी में 67, कांगड़ा में 57, कुल्लू में 49, शिमला में 48, सोलन में 32, किन्नौर में 30, ऊना में 29, बिलासपुर में 24, सिरमौर में 23, हमीरपुर में 17 और लाहौल-स्पीति में 10 लोगों की जान गई। लापता लोगों में सबसे ज्यादा 30 मंडी से हैं, जबकि चंबा से 5, सिरमौर से 4, शिमला और किन्नौर से 3-3, कुल्लू और कांगड़ा से 2-2 और लाहौल-स्पीति से एक व्यक्ति लापता है। इस दौरान 498 लोग घायल भी हुए हैं।

तबाही का आलम यह रहा कि अब तक 1,736 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं, जबकि 7,494 मकानों को आंशिक क्षति पहुँची है। 496 दुकानें और 7,399 गौशालाएं भी ढह गईं। पशुधन में 2,519 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत हुई है। प्रारंभिक आकलन के मुताबिक प्रदेश को अब तक 4,881 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग को हुई है, जहां सड़कों व पुलों को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचा। जलशक्ति विभाग को 1,476 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 1,394 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

इस मानसून ने प्राकृतिक आपदाओं के रूप में 148 बार भूस्खलन, 98 बार फ्लैश फ्लड और 47 बार बादल फटने की घटनाएं दीं। लाहौल-स्पीति में सबसे ज्यादा 30 बार भूस्खलन हुआ, जबकि शिमला में 29 बार। फ्लैश फ्लड की सबसे अधिक 57 घटनाएं लाहौल-स्पीति में दर्ज हुईं। बादल फटने की घटनाएं मंडी जिले में सबसे ज्यादा 19 बार हुईं, इसके अलावा कुल्लू में 12 और चंबा में 6 बार बादल फटे।

इधर, बीते दिनों हुई भारी बारिश से प्रभावित इलाकों में बंद सड़कों को खोलने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार फिलहाल प्रदेश में 2 नेशनल हाइवे और 320 सड़कें अभी भी बंद हैं। ऊना और कुल्लू में एक-एक नेशनल हाइवे बाधित है, जबकि मंडी में 105, कुल्लू में 100, कांगड़ा में 40 और शिमला में 21 सड़कें अवरुद्ध हैं। इसके अलावा 46 बिजली ट्रांसफार्मर और 69 पेयजल योजनाएं भी ठप पड़ी हैं, जिससे स्थानीय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

मानसून की इस तबाही ने हजारों परिवारों को जीवनभर का घाव दिया है। अब जब यह विदा हो चुका है, तो लोगों को राहत की सांस मिली है, लेकिन पीछे छोड़ी गई तबाही को भरने में राज्य को वर्षों लग सकते हैं।

—————

(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

Most Popular

To Top