HimachalPradesh

खेतों पर बंदरों का कब्ज़ा, कोटगा गांव में किसानों का हाहाकार, रात-दिन चौकसी पर मजबूर

नाहन, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । सिरमौर जिले का कोटगा गांव इस वक्त बंदरों और जंगली जानवरों की दहशत में जी रहा है। मेहनत से बोई गई मक्का, टमाटर और खीरे की फसलें किसानों के पसीने से सींची जाती हैं, लेकिन जब फसल तैयार होती है तो उस पर हमला बोल देते हैं बंदर, जंगली सूअर और बरसात में घुस आने वाले तेंदुए।

गांव के बुजुर्गों की पीड़ा है कि उनकी पीढ़ियों से खेती परंपराओं के सहारे ही बची है। आज भी खेतों में लकड़ी के चार टंडों पर होड़ा (ऊँचा चौकीनुमा मंच) बनाया जाता है, जहां दिन-रात ग्रामीण पहरा देते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि 21वीं सदी में भी किसान बंदरों से बचने के लिए डंडा और होड़ा ही क्यों सहारा बनाए हुए हैं?

ग्रामीण युवा पंकज और हिमानी ने बताया कि हमारे खेत खून-पसीने से सींचे जाते हैं, लेकिन बंदरों और जंगली सूअरों की टोली सब बर्बाद कर देती है। बरसात के दिनों में तेंदुआ गौशाला से पशु उठा ले जाता है। ऐसे हालात में गांव के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग तक दिन-रात चौकसी कर रहे हैं। क्या हमारी मेहनत ऐसे ही लुटती रहेगी? अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो गांववालों का कहना है कि खेती का मोह टूट जाएगा और किसान खेत छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।

—————

(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर

Most Popular

To Top