
रांची, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मन्दिर में गुरुवार को श्रीवामन अवतार द्वादशी और श्रीविष्णु परिवर्तन व्रत मनाया गया। वामन अवतार में जिसमें देवराज इन्द्र के देत्यों से पराजय रूप स्वर्ग सत्ता को दिलाने के लिये भगवान् श्रीमन्नारायण अपनी माया से वामन (वदु) का शीरर धारणकर, विराट वपु त्रिविक्रम बनकर तीन पगों से पूरे त्रिलोक को नापते हुये दैत्यराज बलि को बांध लिया। भगवान ने बलि को अनुग्रह पूर्वक ऐश्वर्य रहित कर दिया। ऐसे लक्ष्मीपति भगवान वामक का स्तुति वंदना और पूजन किया गया।
भगवान को कराया गया पुनः शयन
चातुर्मास्य व्रत में विशेष रूप से भगवान् की षोडषोपचार पूजा और चौमासे के मध्य भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को योगनिद्रा में शयन कर रहे परमात्मा श्रीहरि विष्णु का परिवर्तनोत्सव पर्व पर करवट बदला, गद्दा और तकिया का बदली और चरण दबाकर, पंखा झलते हुये पुनः शयन कराया गया।
इसके पहले भगवान् का विश्वरूप दर्शन और सुप्रभातम के बाद षोडशोपचार विधि से पूजा और तिरुवाराधन हुआ।
फिर दूध, दही, हल्दी, चंदन, डाभयुक्त जल, गंगाजल, केसर और शहद से अभिषेक हुआ। फिर वस्त्राभूषण से सुसज्जित करके नक्षत्र, कुंभ और कर्पूर से महाआरती की गई। भगवान को दधिओदन, सुजि हलवा, फल और मेवा का भोग लगा। इसके बाद वेद, उपनिषद और देशिक स्तोत्राणि के मंत्रों से स्तवन हुआ। इसके बाद तदियाराधन, (गुरु-परंपरा) शातुमोरा, पल्लाण्डु के साथ शठारी
तीरथ और गोष्ठी हुआ।
उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक के यजमान राजू चौधरी और उनकी पत्नी मोना चौधरी थीं। वहीं अर्चक के रूप में सत्यनारायण गौतम, गोपेश आचार्य और नारायण दास ने मिलकर विधिवत् अनुष्ठान पूरा किया।
इस अवसर पर राम अवतार नारसरिया, अनूप अग्रवाल, प्रदीप नारसरिया, राजेश सुल्तानिया, रंजन सिंह, प्रभास मित्तल सहित अन्य मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
