
रांची, 1 सितंबर (Udaipur Kiran) । पद्मभूषण से विभूषित भाषाविद् और हिंदी–अंग्रेज़ी शब्दकोश के निर्माता डॉ कामिल बुल्के की जयंती समारोह सोमवार को मनरेसा हाउस में धूमधाम से मनाई गई।
इस अवसर पर कई बुद्धिजीवी सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता, धार्मिक जनप्रतिनिधियों और छात्र–छात्राओं ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में रतन तिर्की ने संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ किया। इसके बाद श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रांची विश्वविद्यालय की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ मंजु ज्योत्स्ना ने कहा कि डॉ कामिल बुल्के ने हिंदी और संस्कृत भाषा के माध्यम से पूरे भारत को जोड़ा। वे बेल्जियम में पैदा जरूर हुए थे, लेकिन उनका सबकुछ भारत को समर्पित था।
मनरेसा हाउस के रेक्टर फादर अलेक्स टोप्पो ने कहा कि डॉ बुल्के का हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। वहीं खुंटी डायसिस के विकारियेट जनरल फा बिशु बेंजामिन ने उन्हें भारत का नागरिक बताते हुए कहा कि हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
टीएसी के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने कहा कि उन्होंने डॉ बुल्के को कई बार देखा और सुना है। उन्होंने सरकार से मांग किया कि डॉ कामिल बुल्के पथ में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाए और उनकी जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
इस अवसर पर फा जेम्स टोप्पो, फा. क्लेमेंट एक्का, फा महेंद्र पीटर तिग्गा, फा अलेक्स तिर्की, फा पंकज कुजूर, फा आनंद, फा राकेश केरकेट्टा, सिस्टर जुलिया, सिस्टर सुसाना, सिस्टर वर्जिनिया सहित उर्सलाईन कान्वेंट और माइनर सेमिनरी के छात्र मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
