
– मुक्त विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
प्रयागराज, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में मुक्त विश्वविद्यालय के विज्ञान विद्याशाखा, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय एवं शुआट्स, नैनी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय ‘रिसेंट एडवांसेज इन रिसर्च टेक्निकः विकसित भारत 2047’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन शनिवार को हुआ। कार्यशाला में देश-विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों ने शोध की विविध तकनीकों एवं आधुनिक उपकरणों पर अपने व्याख्यान दिए।
कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. सत्यकाम ने इसे ज्ञान-संवाद और युवा शोधकर्ताओं को सक्षम बनाने वाली प्रेरक यात्रा बताया और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर शोधार्थियों को आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला ने शोध और नवाचार की दिशा में एक सशक्त मंच प्रदान किया है। हमारे शोधार्थियों और प्राध्यापकों ने आधुनिक तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, बायोटेक्नोलॉजी, कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग तथा अंतर्विषयी दृष्टिकोण पर गहन विमर्श किया। ये सभी साधन न केवल शोध की गुणवत्ता बढ़ाएंगे, बल्कि विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय सदैव से उत्कृष्टता और नवाचार को प्रोत्साहित करता रहा है।
उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि आज के दौर में हमें किताबों से निकलकर बाहरी दुनिया में कदम रखने के लिए इन टूल्स को माध्यम बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है जिससे हमारे शोध की गुणवत्ता बनी रहे। इस कार्यशाला ने शोध और नवाचार की नई सम्भावनाओं को उजागर किया है। यहां हुए विचार-विमर्श ने यह स्पष्ट किया है कि आधुनिक तकनीकें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव-प्रौद्योगिकी और अंतर्विषयी दृष्टिकोण हमारे भविष्य के शोध की दिशा तय करेंगे।
गणित विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रो उमेश चंद्र ने इस कार्यशाला की उपयोगिता और महत्व को बताया। उन्होंने कार्यक्रम संयोजक प्रो ए के मलिक को बधाई देते हुए कहा कि भविष्य में भी ऐसे कार्यशाला होती रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने हेतु नवीन और नवाचार शोधों, शोध पद्धतियों, नई तकनीकी का प्रयोग कर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण, जैव-प्रौद्योगिकी तथा अंतर्विषयी दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पूर्णिमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी जयपुर की डॉ प्रिया माथुर ने शोध में नवीनता और सहयोग के महत्व पर बल दिया। कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन आने वाले समय में शोधार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। शोध कार्यों में निरंतर नए-नए तकनीकी और नवाचार हो रहे हैं, इसी के आधार पर आगामी 2047 तक भारत को विकसित करने का एक सशक्त दिशा प्रदान करेगी।
मुक्त विवि के मीडिया प्रभारी डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर ए. के. मलिक ने किया। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सी. के. ने किया। इस अवसर पर ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता करते हुए ज्ञानवर्धन किया।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
