जम्मू, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूर्व मंत्री और डोगरा राजघराने के वंशज एम.के. अजातशत्रु सिंह ने पटना के शिक्षक फैसल खान, जिन्हें खान सर के नाम से जाना जाता है, की जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह जी के खिलाफ निराधार और अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए कड़ी निंदा की है।
जारी एक तीखे प्रेस बयान में, महाराजा हरि सिंह जी के पोते अजातशत्रु सिंह ने खान सर की हालिया टिप्पणियों को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य बताया, खासकर शिक्षण पेशे से जुड़े किसी व्यक्ति की ओर से। उन्होंने कहा, महाराजा हरि सिंह जी एक प्रगतिशील और दूरदर्शी शासक थे, जिन्होंने गंभीर संकट के समय भारत संघ में विलय का निर्णय लेकर जम्मू-कश्मीर के भविष्य को सुरक्षित करने में निर्णायक भूमिका निभाई।
अजातशत्रु ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महाराजा ने 26 अक्टूबर, 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जब पाकिस्तान समर्थित कबायली ताकतें इस क्षेत्र पर हमला कर रही थीं। उन्होंने आगे कहा, यह एक सैद्धांतिक और साहसी निर्णय था, जिसका उद्देश्य अपने लोगों की रक्षा करना और राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बचाए रखना था। खान सर द्वारा ऐतिहासिक तथ्यों को कथित रूप से तोड़-मरोड़कर पेश करने की आलोचना करते हुए, अजातशत्रु ने कहा, एक शिक्षक होने के नाते, उनकी ज़िम्मेदारी सूचना देने की है, गुमराह करने की नहीं। एक प्रतिष्ठित नेता के बारे में भड़काऊ और झूठी टिप्पणी करना न केवल गैर-ज़िम्मेदाराना है, बल्कि ख़तरनाक भी है।
उन्होंने फ़ैसल खान से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने की माँग की और चेतावनी दी कि बयान वापस न लेने पर उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोग, विशेषकर डोगरा समुदाय, महाराजा हरि सिंह जी की विरासत के खिलाफ किसी भी तरह के दुष्प्रचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जिन्होंने भारत में राज्य को उचित स्थान दिलाया।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
