आइजोल, 16 जून (Udaipur Kiran) । मिजोरम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) में बड़ा झटका लगा है। भाजपा के नेता मोलिन कुमार चकमा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में हार के चलते परिषद से भाजपा के बाहर हो गयी है। ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के पास अब परिषद में बहुमत है, जिससे इसकी कार्यकारी समिति में संभावित बदलावों की संभावना बन गई है।
दरअसल, सीएडीसी के अध्यक्ष लखन चकमा द्वारा सोमवार को एक विशेष सत्र बुलाया गया, जहां भाजपा के नेतृत्व वाली कार्यकारी समिति को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। उपस्थित 17 निर्वाचित सदस्यों में से 15 ने मोलिन कुमार चकमा को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि एक ने इसका विरोध किया। मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के एक सदस्य ने मतदान में भाग नहीं लिया।
राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी जेटपीएम अब 16 सदस्यों के साथ परिषद में बहुमत में है। यह बदलाव लखन चकमा सहित 12 भाजपा सदस्यों के जेडपीएम में शामिल होने के बाद हुआ है। भाजपा के पास केवल दो सदस्य बचे हैं, जबकि एमएनएफ के पास एक है। अप्रैल में भाजपा के एक सदस्य की मृत्यु के कारण वर्तमान में एक सीट खाली है।
महत्वपूर्ण सत्ता परिवर्तन के बावजूद, जेडपीएम ने अभी तक सीएडीसी की अगली कार्यकारी समिति बनाने का दावा पेश नहीं किया है।
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत 1972 में सीएडीसी का गठन मिजोरम में चकमा आदिवासियों के कल्याण के उद्देश्य से किया गया था। इसके पास अपने क्षेत्र के भीतर कई विभागों पर विधायी, कार्यकारी और न्यायिक अधिकार हैं। सीएडीसी चकमा आदिवासियों के मामलों के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। इसका मुख्यालय लॉन्ग्टलाई जिले के कमलानगर में है।
परिषद में 20 निर्वाचित और 4 मनोनीत सदस्य होते हैं। यह हालिया राजनीतिक उथल-पुथल सीएडीसी में भाजपा के नेतृत्व के अंत का प्रतीक है, जो 4 फरवरी को शुरू हुआ था, जो इसके गठन के बाद से एक उल्लेखनीय बदलाव है।
—————
(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय
