
जम्मू, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । मिशन स्टेटहुड जम्मू कश्मीर के अध्यक्ष सुनील डिम्पल के नेतृत्व में शनिवार को अम्फल्ला से जानिपुर हाईकोर्ट रोड तक एक जोरदार विरोध रैली निकाली गई। यह प्रदर्शन नायब तहसीलदार पदों की भर्ती में उर्दू भाषा को अनिवार्य बनाए जाने और शिक्षित युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ था।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए डिम्पल ने सवाल उठाया कि जब हजारों शिक्षित युवा सड़कों पर भटक रहे हैं, तब राजस्व विभाग क्यों उर्दू को अनिवार्य बना रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हिंदी, डोगरी, कश्मीरी और अंग्रेज़ी भाषाओं को भी चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने नायब तहसीलदार पदों में उम्र सीमा में छूट की भी मांग की।
डिम्पल ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से पूछा कि पीएचई, पीडीडी, पीडब्ल्यूडी विभागों के दैनिक वेतनभोगियों की नियमितीकरण के लिए गठित 6 सदस्यीय समिति की रिपोर्ट का क्या हुआ। उन्होंने सभी लंबित पदों को भरने, न्यूनतम वेतन अधिनियम लागू करने और सभी दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने की मांग की। डिम्पल ने आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के बाद भाजपा सरकार ने 11 वर्षों में भी दैनिक वेतनभोगियों को नियमित नहीं किया। उन्होंने लद्दाख में दैनिक वेतनभोगियों की तनख्वाह 29,000 रूपये से 45,000 रूपये प्रतिमाह किए जाने का हवाला देते हुए केंद्र पर जम्मू कश्मीर के साथ भेदभाव का आरोप लगाया।
डिम्पल ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से जम्मू कश्मीर का राज्य दर्जा बहाल करने की मांग की और कहा कि दोहरी सत्ता प्रणाली पूरी तरह विफल हो चुकी है। उन्होंने बेरोजगारी से तंग आ चुके युवाओं के नशे की ओर बढ़ने पर चिंता जताई।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
