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भारतवर्ष में सनातन की विविध धर्म धाराएं अद्वितीय सांस्कृतिक संवाद का परिचायक : चंपतराय

कार्यक्रम

जालौन, 16 जून (Udaipur Kiran) । बृज कुंवर देवी एल्ड्रिच पब्लिक स्कूल उरई में चल रहे विश्व हिन्दू परिषद् शिक्षा वर्ग को सम्बोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय उपाध्यक्ष चम्पतराय ने कहा कि आज हम एक ऐसे विषय पर विचार करने हेतु एकत्र हुए हैं जो न केवल हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को उजागर करता है, बल्कि हमारे भारतवर्ष की एकता, विविधता और सहिष्णुता का भी परिचायक है। जैन, बौद्ध, सिख ये सनातन धर्म के ही अंग हैं।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म कोई संकुचित परिभाषा नहीं, यह एक जीवन दृष्टि है। जिसमें मानव मात्र को दिव्यता से जोड़ने का प्रयास है। यही कारण है कि इसी सनातन परम्परा की कोख से समय-समय पर विविध धार्मिक धाराएँ जन्म लेती रहीं, जिनमें जैन, बौद्ध और सिख धर्म प्रमुख हैं। जैन धर्म, जिसकी जड़ें वैदिक युग जितनी ही प्राचीन हैं, आत्मा की शुद्धता, अहिंसा, अपरिग्रह और तपस्या को जीवन का सार मानता है। भगवान ऋषभदेव को शास्त्रों में प्रथम तीर्थंकर और एक ‘वेदज्ञ’ पुरुष के रूप में उल्लेखित किया गया है। जो भगवान गौतम बुद्ध की करुणा और ज्ञान की प्रेरणा से फला-फूला, वह भी कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष जैसे सनातन सिद्धांतों पर आधारित है। बुद्ध स्वयं हिंदू परम्परा के क्षत्रिय कुल में जन्मे और वैदिक संस्कृति में पले-बढ़े। गुरु नानक देव द्वारा प्रवर्तित इस धर्म की जड़ें भी सनातन मूल्य-व्यवस्था में ही हैं। एकेश्वरवाद, सेवा, करुणा, मानवता के प्रति समर्पण, गुरु ग्रंथ साहिब में भी वेद, उपनिषदों और भगवद्भक्ति की गूंज सुनाई देती है।

चंपत राय ने आगे कहा कि इन सभी धर्मों की अपनी विशिष्टता है, पर मूलत: ये उसी सनातन संस्कृति की शाखाएं हैं जिसने वसुधैव कुटुम्बकम् और एकं सद्विप्रा बहुधा वदंति जैसे उदात्त विचारों को जन्म दिया। भारत की विविध धार्मिक धाराएं एक महान सांस्कृतिक संवाद का परिणाम हैं। जैन, बौद्ध और सिख धर्म- ये सभी सनातन की ही विविध अभिव्यक्तियां हैं। इन्हें अलग नहीं, बल्कि एक विशाल वृक्ष की शाखाएं मानकर अपनाना चाहिए, तभी हम धर्म के वास्तविक मर्म तक पहुंच पाएंगे।

वर्ग के बाद प्रबुद्धजनों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में समरसता, शिक्षा, नारी सम्मान, आर्थिक स्वावलंबन और जाति-भेद से ऊपर उठकर एकजुटता के लिए विश्व हिन्दू परिषद कार्य कर रहा है। संस्कृति, परम्परा और मूल्यों की रक्षा के साथ-साथ आधुनिक युग की चुनौतियों का सामना करते हुए संगठित समाज निर्माण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

इस अवसर पर विहिप क्षेत्र संगठन मंत्री गजेन्द्र, वर्गाधिकारी देवेंद्र मिश्रा, विहिप प्रान्त सह मंत्री अभिनव दीक्षित तथा अवधेश भदौरिया, जिला मंत्री आचार्य तेजस, जिला प्रचार प्रसार प्रमुख रमाकांत सोनी भी उपस्थित रहे।

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(Udaipur Kiran) / विशाल कुमार वर्मा

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