

मुंबई,12 अक्टूबर ( हि.स.) मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 केवल एक सरकारी दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि प्रत्येक रोगी की गरिमा से जुड़ा एक मानवीय दायित्व है। मानसिक रूप से बीमार लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने में सक्षम सेवाएँ प्रदान करना ही वास्तविक उपचार पद्धति है,” ठाणे के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सूर्यकांत शिंदे ने एक मार्मिक विचार व्यक्त किया।
न्यायमूर्ति शिंदे विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर ठाणे क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 का पालन करना और उसके सिद्धांतों को व्यवहार में लाना प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी का कर्तव्य है। यदि रोगियों के प्रति करुणा, संवेदनशीलता और सम्मान दिखाया जाए, तो उपचार स्वतः ही प्रभावी हो जाता है।”
अपने अध्यक्षीय भाषण में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नेताजी मुलिक ने कहा, आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई लोग मानसिक तनाव में रहते हैं। पुलिस, राजस्व, आपदा प्रबंधन, अस्पताल जैसे क्षेत्रों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी भी मानसिक थकान का सामना करते हैं। इसलिए, हमारे अस्पताल के मनोचिकित्सक अब विभिन्न सरकारी कार्यालयों में जाकर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श देंगे और टेली-मानस 24×7 मानसिक स्वास्थ्य सेवा के बारे में भी मार्गदर्शन देंगे। उन्होंने कहा कि नागरिक घर बैठे इस सेवा का लाभ उठाने के लिए हेल्पलाइन नंबर 14416 का उपयोग कर सकते हैं।
कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रवींद्र पजालकर, डॉ. प्राची चिवटे, डॉ. नीलेश सपकाले, डॉ. भुसारे, डॉ. कुसुमा, डॉ. रानाडे, डॉ. ममता अलासपुरकर, प्रधानाचार्य लीना तोंगगांवकर, अधिसेविका श्रीमती कांबले, नर्स, सामाजिक कार्यकर्ता, चिकित्सा अधिकारी और प्रशिक्षु छात्र उपस्थित थे।
इस वर्ष के मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय हैआपदा और उपलब्धता आपातकालीन स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, इस पहल का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना और रोगियों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करना है। 10 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलने वाले मानसिक स्वास्थ्य माह में विभिन्न स्थानों पर मूकाभिनय, जन जागरूकता पोस्टर प्रदर्शनियाँ और व्याख्यान-संवाद सत्र शामिल हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
