Assam

मेघालय उच्च न्यायालय ने पवित्र मावजिम्बुइन गुफा की तीर्थयात्रा को कुछ शर्तों के साथ दी अनुमति

मेघालय: पवित्र मावजिम्बुइन गुफा

शिलांग, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य के पूर्वी खासी पहाड़ जिले के मावसिनराम क्षेत्र में स्थित पवित्र मावजिम्बुइन गुफा की तीर्थयात्रा को शांति, व्यवस्था और स्थानीय भावनाओं के सम्मान के लिए कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे दी है।

न्यायमूर्ति एचएस थान्ख्यू की एकल पीठ ने मावजिम्बुइन गुफा की ‘पवित्र तीर्थयात्रा’ की अनुमति मांगने वाली एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। न्यायमूर्ति एचएस थान्ख्यू ने यह आदेश विभिन्न पक्षों द्वारा सम्मानजनक पवित्र तीर्थयात्रा के लिए कुछ सुरक्षा उपायों पर सहमति व्यक्त करने के बाद पारित किया।

अदालत के आदेश में कहा गया है कि तीर्थयात्रियों को गुफा में कोई भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करने या ऐसी गतिविधियों के लिए सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं होगी। गुफा के अंदर पवित्र पत्थरों पर केवल प्रतीकात्मक जल विसर्जन की अनुमति है। अदालत ने अतिरिक्त जल डालने पर स्पष्ट रूप से रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एचएस थान्ख्यू ने जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि तीर्थयात्रा शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो।

इसके अतिरिक्त, आयोजकों को यातायात पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करने और लोगों के आवागमन को प्रबंधित करने में मदद के लिए निजी सुरक्षाकर्मी या स्वयंसेवक नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है।

अदालत ने ज़ोर देकर कहा कि तीर्थयात्रा स्थानीय रीति-रिवाजों के प्रति पूरी गंभीरता और सम्मान के साथ, यातायात में बाधा डाले बिना या तीर्थस्थल परिसर में गंदगी फैलाए बिना संपन्न होनी चाहिए।

अदालत के आदेश में कहा गया है, चूँकि मौसिनराम गांव के अधिकारियों ने पत्थर (शिवलिंग) पर जल चढ़ाने पर आपत्ति जताई है, इसलिए समानता और न्याय के हित में केवल प्रतीकात्मक जल विसर्जन की अनुमति होगी।

टीटी डिएंगदोह और आर खरस्या ने कहा कि मौसिनराम गांव दरबार श्लांग ने निर्धारित शर्तों पर तीर्थयात्रा आयोजित करने के समर्थन में एक वचनबद्धता प्रस्तुत की है। मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की गई है। अदालत ने आदेश में कहा कि तीर्थयात्रा से संबंधित संगठनों को इस समय तक निर्णय लेना होगा और जिला प्रशासन को तीर्थयात्रा की सही तारीख की सूचना देनी होगी।

गौरतलब है कि पिछले साल मौसिनराम दरबार श्लांग ने हिंदुओं के लिए एक पवित्र गुफा में शिवलिंग जैसी संरचना की पूजा के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद, तीर्थयात्रा के आयोजकों ने मेघालय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपील करते हुए कहा कि हिंदू कई वर्षों से श्रावण मास में गुफा में देवादिदेव महादेव की पूजा करते आ रहे हैं। इस याचिका पर कई बार सुनवाई के बाद, मेघालय उच्च न्यायालय ने शर्तों के साथ तीर्थयात्रा की अनुमति दे दी है।

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(Udaipur Kiran) / अरविन्द राय

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