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मेरठ मेट्रो और नमो भारत: एक ही इंफ्रास्ट्रक्चर पर चलेंगी ट्रेनें, यात्रियों को मिलेगा बड़ा फायदा

नमो भारत ट्रेन

नई दिल्ली/मेरठ, 10 सितंबर (Udaipur Kiran News) । देश में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब रीजनल रेल और मेट्रो एक ही ढांचे पर संचालित होंगी। मेरठ मेट्रो और दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर चल रही नमो भारत ट्रेनें अब साझा इंफ्रास्ट्रक्चर पर दौड़ेंगी। यह कदम यात्रियों को न केवल तेज़ और सुविधाजनक यात्रा देगा बल्कि एनसीआर में सार्वजनिक परिवहन का नया अध्याय भी लिखेगा।

साझा इंफ्रास्ट्रक्चर पर सफर

मेरठ मेट्रो का 23 किलोमीटर लंबा गलियारा अब उन्हीं पियर्स और ट्रैक पर चलेगा जिन पर नमो भारत ट्रेनें चल रही हैं। मेट्रो के 13 स्टेशनों में से मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम ऐसे होंगे जहां दोनों सेवाएं रुकेंगी। इन स्टेशनों पर यात्री सहजता से मेट्रो और नमो भारत के बीच सफर बदल सकेंगे।

तेज रफ्तार और नई सुविधा

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने बुधवार को कहा, “दिल्ली-मेरठ देश का पहला नमो भारत कॉरिडोर है। इसकी डिजाइन स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा है और ऑपरेशन स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। औसत स्पीड करीब 85 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है। मेरठ मेट्रो की भी डिजाइन स्पीड 135 और ऑपरेशनल स्पीड 120 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह सामान्य मेट्रो से कहीं अधिक है। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार का यह जनता के लिए बड़ा तोहफा है, जिससे लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।”

यात्रियों के लिए बड़ा बदलाव

फिलहाल 55 किलोमीटर का हिस्सा चालू है और अब तक 1.5 करोड़ से अधिक लोग इसकी सेवाओं का लाभ उठा चुके हैं। पूरा 82 किलोमीटर कॉरिडोर खुलने पर दिल्ली-मेरठ की दूरी एक घंटे से भी कम समय में तय होगी। इससे लाखों यात्रियों को लाभ मिलेगा और लोग दिल्ली में नौकरी करते हुए मेरठ जैसे शहरों में आसानी से बस सकेंगे।

सीमलेस इंटीग्रेशन और नेटवर्क का नेटवर्क

एनसीआरटीसी के सीपीआरओ पुनीत वत्स ने कहा, “नमो भारत ने सीमलेस मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन तैयार किया है – यानी ‘नेटवर्क का नेटवर्क’। उदाहरण के तौर पर, मेरठ से दिल्ली आने वाले व्यक्ति को अगर आनंद विहार रेलवे स्टेशन या सराय काले खां पहुंचना है तो यह बेहद आसान होगा। इसी तरह, निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन तक पहुंचने की सुविधा भी बिना परेशानी मिलेगी।”

मेक इन इंडिया और आधुनिक रोलिंग स्टॉक

सभी ट्रेनसेट हैदराबाद में डिजाइन और गुजरात के सावली स्थित अल्स्टॉम कारखाने में बने हैं। वातानुकूलित कोच, आरामदायक सीटें, लगेज रैक, महिलाओं के लिए विशेष कोच और अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली से लैस ये ट्रेनें यात्रियों को आराम और सुरक्षा दोनों देती हैं।

महिलाओं की भागीदारी और सुरक्षा

नमो भारत कॉरिडोर पर महिला ट्रेन ऑपरेटर और स्टेशन कंट्रोलर भी कार्यरत हैं। महिलाओं के लिए विशेष डिब्बे, महिला स्टाफ, सीसीटीवी और चौबीसों घंटे निगरानी की व्यवस्था है।

भविष्य की दिशा

करीब 30,000 करोड़ रुपये की लागत वाला यह प्रोजेक्ट एनसीआर को तेज़, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन का मॉडल देगा। एनसीआरटीसी ने पहले चरण में तीन कॉरिडोर – दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-अलवर और दिल्ली-करनाल – पर काम शुरू किया है। ये सभी सराय काले खां पर मिलेंगे और यात्री बिना ट्रेन बदले एक कॉरिडोर से दूसरे में यात्रा कर सकेंगे।

देश में पहली बार मेट्रो और रीजनल रेल का यह साझा प्रयोग आम जनता को समय और सुविधा देगा, वहीं एनसीआर के विकास को नई दिशा भी प्रदान करेगा।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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