Madhya Pradesh

अविरल भक्ति परमात्मा से मिलने का माध्यमः पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर में भागवत कथा

– सीहोर में भागवत कथा के दौरान उत्साह से मनाया गया नंद उत्सव

सीहोर, 05 सितम्बर (Udaipur Kiran) । आपकी अविरल भक्ति आपको परमात्मा के करीब ले जाती है। ईश्वर हमें अच्छे विचारों से और सादगी के साथ कर्म करने से प्राप्त होता है। माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डार दे। कबीर की तरह भक्ति करना चाहिए। भगवान की पूजा जितने भाव से होगी, भगवान उतना शीघ्र प्रसन्न होंगे। आपको कोई कितना समझाए, क्यों शंकर के मंदिर जाते हो। बेल पत्र क्यों चढ़ाते हो, व्रत क्यों करते हो, एक कान से सुनना और दूसरे कान से निकाल देना। भगवान की भक्ति को, कृष्ण, राम और महादेव की भक्ति को किसी के कहने से मत छोड़ना। हम शिव के हैं शिव हमारे है। शिव सबका है, जो पूजेगा उसका शिव है।

उक्त विचार मध्य प्रदेश के सीहोर शहर में बड़ा बाजार बाजार स्थित अग्रवाल पंचायती भवन में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवें दिवस शुक्रवार को पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त किए। इस मौके पर आस्था और उत्साह के साथ नंद उत्सव मनाया गया और गोवर्धन पूजन की गई। वहीं शनिवार को रुकमणी विवाह एवं तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब तक शिव की कृपा नहीं होती करुणा नहीं होती जब तक भक्ति प्राप्त नहीं होती। शिव हमारा रोम रोम है। शिव हमारी धडकऩ में है, शिव हमारी दृष्टि है। जिसके बिना हम शून्य है। जब तक जीवित हो जब तक श्वांस चल रही है जब हमारे शिव हमारी धडकऩ में चल रहे हैं। यह श्वांस रूपी शिव है तो शरीर है। श्वास रूपी शरीर चले गए तो यह शरीर नहीं रहा यह शव बन गया। शिव है प्रथम और शिव ही है अंतिम। शिव है सनातन धर्म का परम कारण और कार्य। शिव है धर्म की जड़। शिव से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है। सभी जगत शिव की ही शरण में है, जो शिव के प्रति शरणागत नहीं है वह प्राणी दुख के गहरे गर्त में डूबता जाता है ऐसा पुराण कहते हैं। जाने-अनजाने शिव का अपमान करने वाले को प्रकृति कभी क्षमा नहीं करती है। शिव और शक्ति को प्राप्त करने के लिए हमारी प्रार्थना ही हमको इसके पास लाती है। प्रत्येक जीव को संचालित करने वाली शक्ति व आत्मा परमात्मा का अंश है। आत्मा का परमात्मा से मिलना ही मानव जीवन का उद्देश्य है। इसके लिए सर्वप्रथम आत्मा को जानना होगा। आत्मा का प्रत्येक अनुभव करने के लिए पश्चात ही परमात्मा से मिलन संभव है।

गुरु व ईश्वर में कोई भेद नहीं होता अर्थात गुरु ही शिव है

उन्होंने आगे कहा कि गुरु व ईश्वर में कोई भेद नहीं होता अर्थात गुरु ही शिव है, गुरु ही देव है व गुरु के बिना मनुष्य के जीवन में कुछ नहीं है। बिना गुरुकृपा के भव सागर पार नहीं हो सकता। जिस प्रकार मानव जीवन को बोलने के लिए जुबान, देखने के लिए आंख व जीवित रहने के प्राण की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार ईश्वर मिलन के गुरु की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि बड़े जतन से मानव शरीर मिलता है इसलिए इसका सदुपयोग करना चाहिए।

(Udaipur Kiran) तोमर

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