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शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी हो सकती है मेडिकल इमरजेंसी: डॉ. लोकेश शेखावत

आरएमएल अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. लोकेश सिंह शेखावत

नई दिल्ली, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) ।

डॉ. आरएमएल अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. लोकेश सिंह शेखावत ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य भी मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है। इसलिए मानसिक रोगों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आत्महत्या के कारण दुनिया भर में हर साल 7,40,000 से अधिक मौतें होती हैं। इनमें से लगभग 73 प्रतिशत आत्महत्याएं कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। यह 15 से 29 साल आयु वर्ग के लोगों में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है।

बुधवार को मीडिया से बातचीत में डॉ. शेखावत ने बताया कि अक्सर लोग आत्महत्या का प्रयास आवेश में आकर करते हैं, जैसे पारिवारिक झगड़े, आपसी लड़ाई और ब्रेकअप आदि। अगर ऐसे समय में व्यक्ति को कुछ पलों के लिए उस बात से दूर कर दिया जाए जिससे वह आवेग में आ रहा है तो वह आत्महत्या जैसा प्रयास नहीं करेगा। इन घटनाओं को समाज की मदद से काफी हद तक रोका जा सकता है जिसके लिए समाज को पहल करनी होगी।

ऐसे में हमें अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों से नियमित अंतराल पर संवाद करना होगा और जब हम अपने आस-पास कोई व्यक्ति परेशान दिखाई दे तो हमें चाहिए कि हम उसकी बात सिर्फ सुन लें। उसे यह जताएं कि हम उसकी परिस्थिति को समझ रहे हैं। यह तरीका उस व्यक्ति के तनाव को कम करने में सहायक साबित होगा और वह संभावित आवेग वाली परिस्थितियों में फंसने से बच सकेगा।

डा. शेखावत के मुताबिक आत्महत्या से जुड़े मुद्दों में सामाजिक दबाव और पारिवारिक कारण सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसमें लगभग 30 प्रतिशत अतिरिक्त योगदान मानसिक बीमारियों का है। इनमें डिप्रेशन, एंजायटी, सायकोटिक डिसऑर्डर के साथ नशे से जुड़ी बीमारियां शामिल हैं जोकि आत्महत्या से संबंधित व्यवहार को बढ़ावा देती हैं। ऐसे में मानसिक बीमारियों की पहचान और सही समय पर इलाज करवाना भी आत्महत्या के मामलों को रोकने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि आत्महत्या से मरने वाले लगभग 50 से 90 प्रतिशत व्यक्ति अवसाद, चिंता और द्विध्रुवी विकार जैसी मानसिक बीमारियों से पीड़ित होते हैं।

टेली मानस हेल्पलाइन कर रही मदद

अक्टूबर 2022 में, केंद्र सरकार ने 24×7 मानसिक स्वास्थ्य परामर्श प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की घोषणा की, जिसे टेली-मानस (राज्यों में टेली मानसिक स्वास्थ्य सहायता और नेटवर्किंग) नाम दिया गया है। टेली-मानस सेवाएं 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 53 केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध हैं। इस टोल-फ्री हेल्पलाइन पर फरवरी माह तक 18 लाख से ज्यादा कॉल आए और उन्हें उचित परामर्श देने के साथ काउंसलिंग भी की गई। ये सेवाएं 20 भाषाओं में उपलब्ध हैं।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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