
नई दिल्ली, 08 सितंबर (Udaipur Kiran) । सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने 24 साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट में अतिरिक्त गवाहों के बयान दर्ज करने की मांग उच्चतम न्यायालय
से वापस ले ली है। जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अब ये मामला खत्म होना चाहिए।
दरअसल, दिल्ली उच्च न्यायालय
ने मेधा पाटकर की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय
का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय
के पहले 18 मार्च को साकेत कोर्ट ने पाटकर की ओर से अतिरिक्त गवाहों को समन करने की अर्जी खारिज कर दी थी। साकेत कोर्ट ने कहा था कि ये मामला 24 साल पुराना है और मेधा पाटकर की ओर से दिए गए सभी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। कोर्ट ने कहा था कि मेधा पाटकर ने भले ही अतिरिक्त गवाहों के बयान दर्ज करने की मांग की है, लेकिन अर्जी में किस गवाह के बयान दर्ज कराना चाहती हैं, इसका उल्लेख तक नहीं है।
मेधा पाटकर ने दिल्ली के उप-राज्यपाल और खादी ग्रामोद्योग निगम के पूर्व चेयरमैन वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है। ये केस जब दायर किया गया था, उस समय वीके सक्केना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे। वीके सक्सेना की ओर से दायर एक आपराधिक मानहानि के मामले में मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सजा सुनाई है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी
