
उत्तरकाशी, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भागीरथी घाटी में आपदा की दोहरी मार इस कदर पड़ी है कि भटवाडी़ में दीपावाली मेले के लिए बाजार तो से गये लेकिन ग्राहक नदारत है।
गौरतलब है कि पांच अगस्त को में खीर गंगा में आईं विनाशकारी बाढ़ ने भागीरथी घाटी की आर्थिक की रीढ़ कहे जाने वाले धराली हर्षिल को पूरी तरह से धराशाही कर दिया। इस आपदान केवल धराली की आर्थिक की प्रभावित हुई बल्कि भागीरथी की के बसे सैकड़ों गांवों पर इस की मार पड़ी है। धराली- हर्षिल आपदा के बाद चार धाम यात्रा पर भी असर पड़ है। जिससे चारधाम यात्रा से जुड़े लाखों लोगों की आमदनी भी घटी है। यूं तो भागीरथी घाटी के लोगों पर इस बार दोहरी मार पड़ी है एक तो आपदा से ऊपर से हर्षिल वैली में सेब की फसले भी ठीक से नहीं हुई जिससे काश्तकारों को भी भारी नुकसान हुआ है।
जिला उद्यियान अधिकारी डॉक्टर रजनीश कुमार बताते हैं की हर्षिल क्षेत्र में करीब 4 हजार टन से अधिक से सेब की उपज होती है लेकिन इस बार महज लगभग 2500 ढाई हजार उपज हुए हैं। जाहिर है कि काश्तकारों की आमदनी घटी है। हालांकि उत्तराखण्ड सरकार ने काश्तकारों को समर्थन मूल्य निर्धारण कर काश्तकारों के सेब खरेद लिए है।
ये ही वजह रही कि विकास खण्ड भटवाड़ी में व्यापारी द्वारा बाजार तो सजाया गया है , लेकिन ग्राहाक कहीं दूर दूर तक नजर नहीं आ रहें हैं भटवाड़ी के चडेथी व्यवसाई सुनील रावत ने बताया की भटवाड़ी बाजार में जहां दीपावली के पर्व पर लोग जमकर लोग खरीदारी करते थे लेकिन इस बार कहीं न कहीं लोगों में वह उत्साह नहीं दिख रहा है जिससे साफ लग रहा है कि यहां के ग्रामिण खेती किसानी पर निर्भर है और इस बार फसलों का उचित भाव न मिलने के कारण लोगों में खरीददारी के प्रति उत्साह नहीं दिख रहा है । जिसका असर सीधे व्यवसायियों पर भी देखने को मिल रहा है ।
वहीं बीते शनिवार को धनतेरस पर सोने और चांदी की खरीदारी शुरू हो गई है। आभूषण विक्रेताओं को उम्मीद थी कि ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन सोने की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के कारण मात्रा के मामले में मांग पिछले साल की तुलना में 20-25 फीसदी तक कम हुई है। जिससे व्यापारियों को कम आमदानी का डर सताने लगा है।
(Udaipur Kiran) / चिरंजीव सेमवाल
