
बलरामपुर, 5 अगस्त (Udaipur Kiran) । रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के बाजारों में राखी की दुकानें सजने लगी हैं। इन दुकानों पर विभिन्न प्रकार की राखियां उपलब्ध हैं, जिनमें से बहनें अपने भाइयों के लिए सबसे अच्छी राखी चुन सकती हैं।
कुसमी के बाजारों में राखी की दुकानों पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है। बहनें अपने भाइयों के लिए राखी खरीदने के लिए बाजारों में आ रही हैं और दुकानदारों को अच्छी बिक्री हो रही है।
दुकानदारों की तैयारी
दुकानदारों ने राखी की दुकानें सजाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने विभिन्न प्रकार की राखियां उपलब्ध कराई हैं, जिनमें से बहनें अपने भाइयों के लिए सबसे अच्छी राखी चुन सकती हैं।
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
कुसमी के बाजारों में रौनक
रक्षाबंधन का त्योहार के आगमन से कुसमी के बाजारों में रौनक बढ़ गई है। लोग राखी खरीदने के लिए बाजारों में उमड़ रहे हैं और बहनें अपने भाइयों के लिए सबसे अच्छी राखी चुनने की कोशिश कर रही हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को राखी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपनी भाईयों की कलाई में राखी बांधकर लंबी आयु और अच्छे भविष्य की कामना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देने के साथ उपहार देते हैं। हर साल राखी का पर्व धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन भद्रा का अवश्य ख्याल रखा जाता है।
उल्लेखनीय है कि, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 9 अगस्त को दोपहर एक बजकर 24 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि के हिसाब से रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त 2025 को कुल 7 घंटे 49 मिनट का मिलेगा इस दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
आचार्य मनोज पांडेय के अनुसार, शास्त्रों में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कामों को करने की मनाही होती है। दरअसल, भद्रा शनिदेव की बहन है। इनका स्वभाव बिल्कुल अपने भाई की तरह ही है। उन्हें उग्र स्वभाव की देवी माना जाता था। जन्म के समय उन्होंने यज्ञों और पुण्य कार्यों में विघ्न डाला। जिसके कारण ब्रह्मा जी ने पंचांग में विष्टी करण यानी भद्रा काल का उल्लेख किया ताकि इस अवधि में शुभ कार्यों न किया जाए, जिससे किसी भी प्रकार की बाधा न आएं। ऐसे में भद्रा काल में राखी बांधने से भाई-बहनों के संबंध में तनाव, विघ्न आने के साथ सफलता के मार्ग में रुकावटें आती है।
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(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय
