
श्रीनगर, 30 जून (Udaipur Kiran) । अमरनाथ के यात्रा मार्गों पर हाई-टेक गैजेट की तैनाती सहित कई शीर्ष स्तरीय सुरक्षा व्यवस्थाएं की गई हैं। पहली बार यात्रा के पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर रणनीतिक स्थानों पर चेहरे की पहचान करने वाली प्रणाली (एफआरएस) लगाई गई है। इस तकनीक की स्थापना के परिणाम पहले ही सामने आ चुके हैं, जिसमें 19 जून को आतंकवादी संगठनों के दो ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की गिरफ्तारी की गई है। सिस्टम की स्थापना में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि जैसे ही कोई भी ब्लैक लिस्टेड व्यक्ति फ्रेम में आता है, सुरक्षा बलों द्वारा संचालित निगरानी केंद्र पर हूटर बज जाएगा, ताकि वास्तविक समय में खतरे को खत्म करने के लिए कदम उठाए जा सकें। इसके अलावा कश्मीर घाटी से गुजरने वाले पूरे यात्रा मार्ग को नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया है, क्योंकि अधिकारियों ने 1 जुलाई से 10 अगस्त तक इन क्षेत्रों में किसी भी यूएवी या ड्रोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दक्षिण कश्मीर के हिमालय में भगवान शिव का निवास माने जाने वाले अमरनाथ जी के पवित्र गुफा मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी और रक्षा बंधन के साथ 9 अगस्त को समाप्त होगी। इस साल यात्रा की अवधि पिछले साल के 52 दिनों के मुकाबले घटाकर 38 दिन कर दी गई है। लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा पिछले एक हफ्ते से बेस कैंप का दौरा करके तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं।
सिन्हा ने सोमवार को बालटाल बेस कैंप में संवाददाताओं से कहा कि मैंने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद मैं कह सकता हूं कि इस साल व्यवस्थाएं काफी बेहतर हैं। सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय अच्छा है और वे सभी सतर्क हैं। हालांकि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भी इस साल की तीर्थयात्रा के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया है, लेकिन अधिकारी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और कई अन्य उपायों के साथ सुरक्षा को मजबूत किया है।
इसके अलावा मार्गों पर चलने वाले सभी वाहनों और व्यक्तिगत तीर्थयात्रियों को रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान तकनीक से टैग किया जाएगा, जो उनकी आवाजाही पर नज़र रखने में मदद करेगा। अधिकारियों ने कहा कि जम्मू से पवित्र गुफा तक के पूरे मार्ग को सीसीटीवी निगरानी में लाया गया है और सभी आधार शिविरों के आसपास तीन-स्तरीय सुरक्षा कवच लगाया गया है। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर स्थिर सुरक्षा ड्यूटी के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। राजमार्ग से जुड़ने वाली लिंक सड़कों पर कुछ संवेदनशील स्थानों पर भी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है। सुबह से देर रात तक वाहनों की रैंडम जांच की जा रही है।
अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर पहले भी कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं। अगस्त, 2000 में नुनवान बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में दो दर्जन अमरनाथ तीर्थयात्रियों सहित 32 लोग मारे गए थे, जबकि जुलाई, 2001 में एक अन्य हमले में 13 लोग मारे गए थे जब आतंकवादियों ने यात्रा के शेषनाग बेस कैंप पर हमला किया था। 2002 में चंदनवारी बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 11 तीर्थयात्री मारे गए थे। जुलाई, 2017 में कुलगाम जिले में अमरनाथ यात्रा बस पर हुए हमले में आठ तीर्थयात्री मारे गए थे।——————
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
