

पटना/आरा, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । आरा के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग में बुधवार को सुप्रसिद्ध साहित्यकार मनोज भावुक की शोध पुस्तक ‘ भोजपुरी सिनेमा के संसार ‘ का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक का लोकार्पण विभाग के पूर्व विभागाध्यक्षों प्रोफेसर रविंद्र नाथ राय, प्रो. अयोध्या प्रसाद उपाध्याय, प्रो. डॉ. नीरज सिंह, वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. दिवाकर पांडेय और वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक जितेंद्र कुमार द्वारा संयुक्त रुप से किया गया।
विषय प्रवेश और आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. दिवाकर पांडेय ने कहा कि यह किताब भोजपुरी सिनेमा के इतिहास लेखन की अभूतपूर्व किताब है तथा यह सिनेमा पर शोध करने वाले छात्रों के लिए आधार ग्रन्थ का काम करेगी।
मौके पर प्रो. रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि यह किताब मनोज भावुक के अथक शोध और साधना का फल है। प्रो. डॉ. नीरज सिंह ने कहा कि मनोज भावुक के व्यक्तित्व में प्रेम, प्रेरणा, प्रतिभा और परिश्रम का मिश्रण है। इस पुस्तक से भोजपुरी फिल्म के गौरवशाली अतीत का स्मरण होता है।
जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह खुशी की बात है कि 12 अक्टूबर को अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के तरफ से इस किताब पर ‘ चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह सम्मान ‘ सम्मेलन के 28वें अधिवशन में 29 नवम्बर को देने की घोषणा हुई है। उन्होंने कहा कि मनोज भावुक बहुआयामी साहित्यकार हैं और विद्यार्थियों को इनसे प्रेरणा लेकर भोजपुरी साहित्य में योगदान करना चाहिए।
लेखकीय वक्तव्य देते हुए मनोज भावुक ने कहा कि यह गर्व की बात है कि यूनेस्को में छठ पर्व की परम्परा को शामिल करने के लिए प्रयास चल रहा है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी एक वैश्विरक भाषा है। छात्रों को भोजपुरी में लेखन करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि भोजपुरी की समृद्ध परम्परा में युवाओं को सृजनशील बनना पड़ेगा। इस मौके पर स्वरचित गजलों और गीतों को सुनाकर उन्होंने सभागार को भावविभोर कर दिया।
किताब में क्या है? पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ ( प्रथम संस्करण : 2024 ) वर्ष 1931 से लेकर अब तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर पर विहंगम दृष्टिपात है। वर्ष 1962 में भोजपुरी की पहली फ़िल्म आई- ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’। उसके पहले 1931 से 1962 तक हिंदी सिनेमा में संवाद और गीतों के जरिये भोजपुरी कैसे अपना परचम लहराती रही, इसके रोचक किस्से भी हैं। इस पुस्तक में अमिताभ बच्चन, सुजीत कुमार, राकेश पांडेय, कुणाल सिंह, रवि किशन और मनोज तिवारी जैसी सिने-हस्तियों के साक्षात्कार शामिल हैं।
कौन हैं मनोज भावुक ?मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा और भोजपुरी साहित्य के बीच की एकमात्र मजबूत कड़ी हैं। वे दोनों को जीते हैं, दोनों में काम करते हैं। इसलिए दोनों को बखूबी समझते हैं।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी
