West Bengal

ममता ने दुर्गा पूजा कार्निवल को बताया उत्तर बंगाल की बाढ़ से ज्यादा जरूरी, देरी से आने पर दी सफाई

उत्तर बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

कोलकाता, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर बंगाल में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को मिरिक का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद उत्तर बंगाल में उनके देरी से पहुंचने और बाढ़ वाले दिन दुर्गा पूजा कार्निवल में शामिल होकर नृत्य करने को लेकर लग रहे आरोपों पर अजीबो-गरीब सफाई दी। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा कार्निवल बंगाल का गौरव है। उसको छोड़कर नहीं आ सकती थी। उन्होंने कहा कि वह उत्तर बंगाल के हालात पर निगरानी रख रही थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक 27 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें से पांच से छह बच्चे हैं। मृतकों में 18 लोग मिरिक और कलिम्पोंग में, पांच लोग नागराकाटा में और दो विदेशी नागरिक (नेपाल और भूटान के) शामिल हैं। कई शवों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। प्रभावित क्षेत्रों में सूखे खाद्य पैकेट, कपड़े, गैस सिलेंडर और अन्य जरूरी सामग्री के किट बांटे जा रहे हैं। साथ ही, मिरिक और नागराकाटा जैसे इलाकों में सामुदायिक रसोई (कम्युनिटी किचन) भी चलाई जा रही हैं, जो तब तक जारी रहेंगी जब तक लोग अपने घरों में लौट नहीं जाते।

उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में कई करोड़ रुपये की विद्युत खंभे जलमग्न हो गए हैं और मरम्मत का कार्य जारी है। यहां 12 घंटे में 300 मिलीमीटर बारिश हुई और 56 नदियों का पानी छोड़ा गया। सिक्किम की 14 हाइड्रो पावर परियोजनाएं भी प्रभावित हुईं। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का खामियाजा इंसान को भुगतना पड़ता है।

बाढ़ के बाद ममता बनर्जी को कार्निवाल में शामिल होने को लेकर विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ा था। इस पर उन्होंने कहा कि कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि तब बंगाल में कार्निवाल क्यों हुआ। अरे, कार्निवाल तो बंगाल का गौरव है! राज्य के क्लब इसके लिए पूरे साल इंतजार करते हैं। किसी आपदा के तुरंत बाद राहत कार्य शुरू करने में थोड़ा समय लगता है। उस दिन अगर मैं चली भी आती, तो आकर क्या करती?”

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने आपदा की रात से ही स्थिति पर नजर रखी थी, और प्रशासन को तुरंत सतर्क कर दिया गया था, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। अगर प्रशासन मेरे स्वागत में व्यस्त हो जाता, तो कई और जानें जा सकती थीं।

विपक्ष पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा कि लोग प्राकृतिक आपदा में मर रहे हैं, फिर भी कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड में भी पुल टूटते हैं। हमने तो कभी किसी राज्य की त्रासदी पर राजनीति नहीं की।

मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन परिवारों ने अपने परिजन खोए हैं, उन्हें 15 दिनों के भीतर नौकरी दी जाएगी। जिनके दस्तावेज या घर नष्ट हुए हैं, उनके लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे, जहां आधार, पैन, राशन कार्ड और बच्चों की किताबें तक की व्यवस्था की जाएगी।

उन्होंने घोषणा की कि मिरिक के दूधिया में टूटा पुल 15 दिनों के भीतर फिर से बना दिया जाएगा, जबकि अधिकारियों ने पहले इसके लिए एक महीने का समय मांगा था।

ममता ने कहा कि बुधवार को वह कोलकाता लौटेंगी, लेकिन दो-तीन दिनों में फिर से उत्तर बंगाल लौटकर राहत कार्यों की प्रगति का जायजा लेंगी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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