
कोलकाता, 26 जून (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस की ओर से हर साल आयोजित होने वाला 21 जुलाई का शहीद दिवस न सिर्फ एक राजनीतिक सभा, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक भावनात्मक दिन होता है। साल दर साल इस दिन की भीड़ और उत्साह नए कीर्तिमान बनाते आए हैं। इस साल की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने विधायकों को सीधे तौर पर जिम्मेदारी सौंपी है।
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन ममता बनर्जी ने सभी मंत्री और विधायकों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने न केवल उनके क्षेत्रों की स्थिति की जानकारी ली, बल्कि 21 जुलाई की सभा को लेकर एक स्पष्ट संदेश भी दिया –यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्यकर्ता ठीक तरह से सभा में पहुंच सकें। इसके लिए पूरी तैयारी समय रहते पूरी कर लें। यह सभा बेहद महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान हाल ही में राजस्थान में बंगाली भाषी प्रवासी मज़दूरों को रोके जाने की घटना का भी ज़िक्र किया और उसकी संवेदनशीलता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने तत्काल हस्तक्षेप कर प्रवासियों की मदद करवाई। इस संवेदनशीलता को भी उन्होंने 21 जुलाई की सभा के संदर्भ में जोड़ते हुए विधायकों को सजग रहने की सलाह दी।
एक नेता ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पहले ही इस साल की सभा की भव्यता सुनिश्चित करने को कहा जा चुका है। अब ममता बनर्जी ने स्वयं विधायकों को यह जिम्मेदारी दी है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि यह सभा रेकॉर्ड भीड़ के साथ सफल हो।
मुख्यमंत्री ने इससे पहले बाढ़ की स्थिति को लेकर भी विधायकों को निर्देश दिया था। डीवीसी द्वारा जल छोड़ने की प्रक्रिया पर नाराज़गी जताते हुए उन्होंने स्पष्ट किया था कि सरकार को बिना जानकारी के जल छोड़ना स्वीकार्य नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए विधानसभा सत्र का समय घटा कर उन्होंने नेताओं को बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाने का निर्देश भी दिया।
ममता बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनप्रतिनिधियों को कहीं भी, कुछ भी बोलने से पहले अपनी भूमिका और ज़िम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को सोच-समझकर बोलना और काम करना चाहिए।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
