West Bengal

ममता बनर्जी बोलीं -बंगाल के बगैर कभी नहीं मिलती भारत को आजादी

ममता

कोलकाता, 14 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि अगर बंगाल नहीं होता, तो भारत को आज़ादी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि बंगाल की मिट्टी ने ऐसे महान व्यक्तित्व दिए हैं, जिन्होंने देश की दिशा तय करने में निर्णायक योगदान दिया। गुरुवार को कन्याश्री योजना की 12वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर, काज़ी नज़रुल इस्लाम और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महानायक इसी भूमि पर पैदा हुए। राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय गीत और ‘जय हिंद’ का नारा भी बंगाल की ही देन है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अधिक बलिदान बंगाल के लोगों ने दिया। उन्होंने दावा किया कि अंडमान की सेलुलर जेल में बंद लगभग 70 प्रतिशत कैदी बंगाल से थे, जबकि पंजाब दूसरे स्थान पर रहा। उन्होंने कहा कि अगर बंगाल न होता तो भारत को आज़ादी नहीं मिलती। बंगाल एक ऐसी धरती है जो विविधता में एकता का प्रतीक और उम्मीद की किरण है।

कार्यक्रम में मौजूद स्कूली छात्राओं को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि अब तक 93 लाख छात्राएं कन्याश्री योजना से लाभान्वित हो चुकी हैं और अगले साल यह आंकड़ा एक करोड़ को पार कर जाएगा। इस योजना के तहत 13 से 18 वर्ष की गरीब स्कूली छात्राओं को हर साल हजीर रुपये की मदद दी जाती है और 18 वर्ष पूरे करने पर 25 हजार का अनुदान प्रदान किया जाता है, बशर्ते वे पढ़ाई या किसी अन्य काम में लगी हों और अविवाहित हों। मुख्यमंत्री के अनुसार अब तक योजना पर 17 हजार करोड़ खर्च किए जा चुके हैं और इसकी वजह से स्कूलों में ड्रॉपआउट दर में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर अब ड्रॉपआउट शून्य है। यह योजना संयुक्त राष्ट्र से भी सम्मानित हो चुकी है।

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भाषा को लेकर केंद्र पर साधा निशाना

ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल की भाषा और संस्कृति का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने हाल ही में नोएडा की एक घटना का जिक्र किया, जहां बंगाली बोलने पर एक पिता और बेटे को होटल में कमरा नहीं दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि अगर हम आपकी भाषाओं का सम्मान कर सकते हैं, तो आप हमारी भाषा का सम्मान क्यों नहीं कर सकते?

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर बंगाल के साथ फंड रोकने और उच्च शिक्षा में छात्रवृत्तियों पर रोक लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अनुसंधान गतिविधियों के लिए मदद लगभग बंद कर दी है, जिसके बाद राज्य सरकार स्वयं इस दिशा में सहायता दे रही है।

ममता बनर्जी ने कहा कि कई भाषाएं सीखनी चाहिए, अंग्रेज़ी भी, लेकिन अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने बंगाली भाषा को “सर्वव्यापी मिठास से भरी हुई” बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाजन के बाद जो लोग भारत आए हैं, वे सभी नागरिक हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर संकीर्ण सोच और विभाजनकारी विचारों को त्याग दें और एकता बनाए रखें।

ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और अपने पैरों पर खड़ा करना है। सीएम ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे युवा पढ़ाई-लिखाई करें, आगे बढ़ें और किसी के आगे हाथ न फैलाएं।”

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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